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गुरू नानक

गुरू नानक सिखों के प्रथम गुरु (आदि गुरु) है । इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं । 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी नामक स्थान में, कल्यानचंद नाम के एक किसान के घर उत्पन्न हुए । तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया । बचपन से इनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे । पढ़ने लिखने में इनका मन नहीं लगा । 7-8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया और सारा समय वे आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे । 16 वर्ष की अवस्था में इनका विवाह हुआ । श्रीचंद और लक्ष्मीचंद नाम के दो पुत्र भी इन्हें हुए । 1507 में ये अपने परिवार का भार अपने श्वसुर पर छोड़कर यात्रा के लिए निकल पड़े । 1521 तक इन्होंने तीन यात्राचक्र पूरे किए, जिनमें भारत,फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया । 1539 में इनकी मृत्यु हुई । गुरु नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु-सभी के गुण समेटे हुए थे ।