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[[वृंदावन]] का एक प्रसिद्ध स्थान जो श्री[[कृष्ण]] की [[रासलीला|महारास]] स्थली माना जाता है। स्वामी [[हरिदास]] इस वन में कुटी बनाकर रहते थे। हरिदास का जन्म 1512 ई0 में लगभग हुआ था। इनका समाधि-मंदिर इसी घने कुंज के अन्दर बना है। कहा जाता है कि वृन्दावन के बिहारी जी के प्रसिद्ध मंदिर की मूर्ति हरिदास को निधिवन से ही प्राप्त हुई थी। किंवदंती है कि हरिदास [[तानसेन]] के संगीतगुरू थे और मुगल सम्राट [[अकबर]] ने तानसेन के साथ छद्मवेश में इस संत के दर्शन निधिवन में ही किए थे। | [[वृंदावन]] का एक प्रसिद्ध स्थान जो श्री[[कृष्ण]] की [[रासलीला|महारास]] स्थली माना जाता है। स्वामी [[हरिदास]] इस वन में कुटी बनाकर रहते थे। हरिदास का जन्म 1512 ई0 में लगभग हुआ था। इनका समाधि-मंदिर इसी घने कुंज के अन्दर बना है। कहा जाता है कि वृन्दावन के बिहारी जी के प्रसिद्ध मंदिर की मूर्ति हरिदास को निधिवन से ही प्राप्त हुई थी। किंवदंती है कि हरिदास [[तानसेन]] के संगीतगुरू थे और मुगल सम्राट [[अकबर]] ने तानसेन के साथ छद्मवेश में इस संत के दर्शन निधिवन में ही किए थे। | ||
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१३:०५, १९ जुलाई २००९ का अवतरण
निधिवन / Nidhivan
वृंदावन का एक प्रसिद्ध स्थान जो श्रीकृष्ण की महारास स्थली माना जाता है। स्वामी हरिदास इस वन में कुटी बनाकर रहते थे। हरिदास का जन्म 1512 ई0 में लगभग हुआ था। इनका समाधि-मंदिर इसी घने कुंज के अन्दर बना है। कहा जाता है कि वृन्दावन के बिहारी जी के प्रसिद्ध मंदिर की मूर्ति हरिदास को निधिवन से ही प्राप्त हुई थी। किंवदंती है कि हरिदास तानसेन के संगीतगुरू थे और मुगल सम्राट अकबर ने तानसेन के साथ छद्मवेश में इस संत के दर्शन निधिवन में ही किए थे।