"निधिवन" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
पंक्ति १४: | पंक्ति १४: | ||
के संगीतगुरू थे और मुगल सम्राट [[अकबर]] ने तानसेन के साथ छद्मवेश में इस संत के दर्शन निधिवन में ही किए थे। | के संगीतगुरू थे और मुगल सम्राट [[अकबर]] ने तानसेन के साथ छद्मवेश में इस संत के दर्शन निधिवन में ही किए थे। | ||
− | [[ | + | [[file:Nidhivan-Vrindavan-2.jpg||निधिवन, [[वृन्दावन]]<br />Nidhivan, Vrindavan|200px]] |
<gallery> | <gallery> | ||
चित्र:Swami-Haridas-Nidhivan-Vrindavan.jpg|निधिवन, [[वृन्दावन]]<br />Nidhivan, Vrindavan | चित्र:Swami-Haridas-Nidhivan-Vrindavan.jpg|निधिवन, [[वृन्दावन]]<br />Nidhivan, Vrindavan |
११:१८, १८ जनवरी २०१० का अवतरण
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
निधिवन / Nidhivan
वृन्दावन का एक प्रसिद्ध स्थान जो श्री कृष्ण की महारास स्थली माना जाता है।
स्वामी हरिदास इस वन में कुटी बनाकर रहते थे। हरिदास का जन्म 1512 ई0 में लगभग हुआ था।
इनका समाधि-मंदिर इसी घने कुंज के अन्दर बना है। कहा जाता है कि वृन्दावन के बिहारी जी के
प्रसिद्ध मंदिर की मूर्ति हरिदास को निधिवन से ही प्राप्त हुई थी। किंवदंती है कि हरिदास तानसेन
के संगीतगुरू थे और मुगल सम्राट अकबर ने तानसेन के साथ छद्मवेश में इस संत के दर्शन निधिवन में ही किए थे।