पतंजलि

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महर्षि पतंजलि / Patanjali

  • शरीर की शुद्धि के लिये वैद्यक शास्त्र का वाणी की शुद्धि के व्याकरण शास्त्र का और चित्त की शुद्धि के लिये योग शास्त्र का प्रणयन करने वाले महर्षि पतंजलि का जन्म माता गोणिका से हुआ था।
  • ये गोनर्द देश में निवास करते थे।
  • इन्होंने योगदर्शन के अतिरिक्त पाणिनि के व्याकरण (अष्टाध्यायी) पर महाभाष्य निर्मित किया।
  • भगवान शेष ने उसी समय अथर्ववेद से आयुर्वेद प्राप्त कर लिया, जब श्री हरि ने मस्त्य अवतार धारण करके वेदों का उद्धार किया।
  • भगवान अनन्त गुप्त रूप से पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे। मनुष्यों तथा दूसरे प्राणियों को शारीरिक एवं मानसिक रोगों एवं कष्टों से पीड़ा पाते देख प्रभु को दया आयीं वे पृथ्वी पर अवतीर्ण हुए।*उन्होंने शारीरिक व्याधि की निवृत्ति के लिये आयुर्वेद को प्रकट किया। क्योंकि वे चर की भाँति पृथ्वी पर पहले आये थे।
  • आयुर्वेद कर्ता के रूप में उनका नाम 'चरक' हुआ। उन्हीं भगवान अनन्त ने 'पतंजलि' नाम से योगदर्शन और महाभाष्य का निर्माण किया।
  • श्री चरक जी ने आयुर्वेद में आत्रेय ऋषि की परम्परा का प्रतिपादन किया है।
  • आत्रेय मुनि के शिष्य अग्निवेश ने आयुर्वेद पर अनेक ग्रन्थों का निर्माण किया था।
  • उन सबका सारतत्त्व चरक संहिता में संकलित हुआ। इससे चरक संहिता के अन्त में उसके कर्ता अग्निवेश कहे गये हैं।
  • भाव प्रकाश के कर्ता ने भी भगवान चरक को चिकित्सा-ज्ञान का संकलन कर्ता बताया है।


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