परशुराम

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
रेणु (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १९:०५, ४ फ़रवरी २०१० का अवतरण
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

परशुराम / Parshuram

राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र, विष्णु के अवतार परशुराम शिव के परम भक्त थे इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे। एक बार इनके पिता ने अपने सब पुत्रों को माता का वध करने के लिए कहा। परशुराम के अतिरिक्त कोई भी तैयार न हुआ। अत: जमदग्नि ने सबको संज्ञाहीन कर दिया। परशुराम ने पिता की आज्ञा मानकर माता का शीश काट डाला। पिता ने प्रसन्न होकर वर माँगने को कहा तो उन्होंने चार वरदान माँगे-

  1. माँ पुनर्जीवित हो जायँ,
  2. उन्हें मरने की स्मृति न रहे,
  3. भाई चेतना-युक्त हो जायँ और
  4. मैं परमायु होऊँ। जमदग्नि ने उन्हें चारों वरदान दे दिये।
  • एक बार कार्त्तवीर्य ने परशुराम की अनुपस्थिति में आश्रम उजाड़ डाला था, जिससे परशुराम ने क्रोधित हो उसकी सहस्त्र भुजाओं को काट डाला।
  • कार्त्तवीर्य के सम्बन्धियों ने प्रतिशोध की भावना से जमदग्नि का वध कर दिया।
  • इस पर परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय-विहीन कर दिया।
  • रामावतार में रामचन्द्र द्वारा शिव का धनुष तोड़ने पर ये क्रुद्ध होकर आये थे। इन्होंने परीक्षा के लिए उनका धनुष रामचन्द्र को दिया। जब राम ने धनुष चढ़ा दिया तो परशुराम समझ गये कि रामचन्द्र विष्णु के अवतार हैं। इसलिए उनकी वन्दना करके वे तपस्या करने चले गये।
  • 'कहि जय जय रघुकुल केतू। भुगुपति गए बनहि तप हेतु॥' यह वर्णन 'राम चरितमानस', प्रथम सोपान में 267 से 284 दोहे तक मिलता है।


<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • ॠषि-मुनि
    • अंगिरा|अंगिरा
    • अगस्त्य|अगस्त्य
    • अत्रि|अत्रि
    • अदिति|अदिति
    • अनुसूया|अनुसूया
    • अपाला|अपाला
    • अरुन्धती|अरुन्धती
    • आंगिरस|आंगिरस
    • उद्दालक|उद्दालक
    • कण्व|कण्व
    • कपिल|कपिल
    • कश्यप|कश्यप
    • कात्यायन|कात्यायन
    • क्रतु|क्रतु
    • गार्गी|गार्गी
    • गालव|गालव
    • गौतम|गौतम
    • घोषा|घोषा
    • चरक|चरक
    • च्यवन|च्यवन
    • त्रिजट मुनि|त्रिजट
    • जैमिनि|जैमिनि
    • दत्तात्रेय|दत्तात्रेय
    • दधीचि|दधीचि
    • दिति|दिति
    • दुर्वासा|दुर्वासा
    • धन्वन्तरि|धन्वन्तरि
    • नारद|नारद
    • पतंजलि|पतंजलि
    • परशुराम|परशुराम
    • पराशर|पराशर
    • पुलह|पुलह
    • पिप्पलाद|पिप्पलाद
    • पुलस्त्य|पुलस्त्य
    • भारद्वाज|भारद्वाज
    • भृगु|भृगु
    • मरीचि|मरीचि
    • याज्ञवल्क्य|याज्ञवल्क्य
    • रैक्व|रैक्व
    • लोपामुद्रा|लोपामुद्रा
    • वसिष्ठ|वसिष्ठ
    • वाल्मीकि|वाल्मीकि
    • विश्वामित्र|विश्वामित्र
    • व्यास|व्यास
    • शुकदेव|शुकदेव
    • शुक्राचार्य|शुक्राचार्य
    • सत्यकाम जाबाल|सत्यकाम जाबाल
    • सप्तर्षि|सप्तर्षि

</sidebar>