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*इसको [[बौद्ध]] त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है ।
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*इसको [[बौद्ध]] त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है।
*पालि, [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]] परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी ।
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*पालि, [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]] परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी।
*पालि साहित्य में मुख्यत: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान [[बुद्ध]] के उपदेशों का संग्रह है किंतु इसका कोई भाग बुद्ध के जीवनकाल में व्यवस्थित या लिखित रूप धारण कर चुका था, यह कहना कठिन है ।
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*पालि साहित्य में मुख्यत: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान [[बुद्ध]] के उपदेशों का संग्रह है किंतु इसका कोई भाग बुद्ध के जीवनकाल में व्यवस्थित या लिखित रूप धारण कर चुका था, यह कहना कठिन है।
 
*एक प्राचीन भारतीय भाषा जिसमें मुख्यत: त्रिपिटिक आदि बौद्ध धर्म-ग्रंन्थों की रचना हुई। यह किस क्षेत्र विशेष की भाषा थी, यह निश्चित नहीं है किंतु इसके व्याकरण का ढांचा और प्रयुक्त शब्द देखकर इसे मध्यदेश की भाषा माना जाता है।  
 
*एक प्राचीन भारतीय भाषा जिसमें मुख्यत: त्रिपिटिक आदि बौद्ध धर्म-ग्रंन्थों की रचना हुई। यह किस क्षेत्र विशेष की भाषा थी, यह निश्चित नहीं है किंतु इसके व्याकरण का ढांचा और प्रयुक्त शब्द देखकर इसे मध्यदेश की भाषा माना जाता है।  
 
*त्रिपिटकों के बाद पालि भाषा में 'मिलिंद प्रश्न' नामक ग्रंथ लिखा गया।  
 
*त्रिपिटकों के बाद पालि भाषा में 'मिलिंद प्रश्न' नामक ग्रंथ लिखा गया।  

१२:५६, २ नवम्बर २०१३ के समय का अवतरण


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पालि भाषा / Pali Language

  • पालि प्राचीन भारत की एक भाषा थी।
  • यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की एक बोली या प्राकृत है।
  • इसको बौद्ध त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है।
  • पालि, ब्राह्मी परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी।
  • पालि साहित्य में मुख्यत: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है किंतु इसका कोई भाग बुद्ध के जीवनकाल में व्यवस्थित या लिखित रूप धारण कर चुका था, यह कहना कठिन है।
  • एक प्राचीन भारतीय भाषा जिसमें मुख्यत: त्रिपिटिक आदि बौद्ध धर्म-ग्रंन्थों की रचना हुई। यह किस क्षेत्र विशेष की भाषा थी, यह निश्चित नहीं है किंतु इसके व्याकरण का ढांचा और प्रयुक्त शब्द देखकर इसे मध्यदेश की भाषा माना जाता है।
  • त्रिपिटकों के बाद पालि भाषा में 'मिलिंद प्रश्न' नामक ग्रंथ लिखा गया।
  • पांचवी शताब्दी में आचार्य बुद्धघोष ने 'अट्ठ कथाओं' की रचना की। बाद में 'दीपवंश' और 'महावंश' ग्रंथ रचे गए जिनमें प्राचीन सिंहल (श्रीलंका) द्वीप का इतिहास वर्णित है।
  • आधुनिक काल में यह भाषा सामान्य व्यवहार में नहीं रह गई है,किंतु उच्च शिक्षा संस्थानों में इसके पठन-पाठन की व्यवस्था है।