"पुराणों" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पंक्ति ३: पंक्ति ३:
 
पुराण, वैदिक काल के काफ़ी बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं । पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है । पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण कहा जा सकता है । इस दर्पण में मनुष्य अपने प्रत्येक युग का चेहरा देख सकता है । इस दर्पण में अपने अतीत को देखकर वह अपना वर्तमान संवार सकता है और भविष्य को उज्जवल बना सकता है । अतीत में जो हुआ, वर्तमान में जो हो रहा है और भविष्य में जो होगा, यही कहते हैं पुराण । इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है । 18 विख्यात पुराण हैं :
 
पुराण, वैदिक काल के काफ़ी बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं । पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है । पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण कहा जा सकता है । इस दर्पण में मनुष्य अपने प्रत्येक युग का चेहरा देख सकता है । इस दर्पण में अपने अतीत को देखकर वह अपना वर्तमान संवार सकता है और भविष्य को उज्जवल बना सकता है । अतीत में जो हुआ, वर्तमान में जो हो रहा है और भविष्य में जो होगा, यही कहते हैं पुराण । इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है । 18 विख्यात पुराण हैं :
 
{|
 
{|
===|विष्णु पुराण===
+
|===विष्णु पुराण===
 
|-
 
|-
 
|भागवत पुराण
 
|भागवत पुराण
पंक्ति १७: पंक्ति १७:
  
 
{|
 
{|
|ब्रह्मा पुराण
+
|===ब्रह्मा पुराण===
 
|-
 
|-
 
|ब्रह्म पुराण
 
|ब्रह्म पुराण
 
|-
 
|-
ब्रह्माण्ड पुराण
+
|ब्रह्माण्ड पुराण
ब्रह्म वैवर्त पुराण
+
|-
मार्कण्डेय पुराण (यह महत्वपूर्ण पुराण शाक्त पंथ के लिये खास है क्योंकि इसमें देवी महात्मय)
+
|ब्रह्म वैवर्त पुराण
भविष्य पुराण
+
|-
वामन पुराण
+
|मार्कण्डेय पुराण (यह महत्वपूर्ण पुराण शाक्त पंथ के लिये खास है क्योंकि इसमें देवी महात्मय)
 +
|-
 +
|भविष्य पुराण
 +
|-
 +
|वामन पुराण
 +
|}
  
शिव पुराण
+
{|
वायु पुराण
+
|===शिव पुराण===
लिङ्ग पुराण
+
|-
स्कन्द पुराण
+
|वायु पुराण
अग्नि पुराण
+
|-
मत्स्य पुराण
+
|लिङ्ग पुराण
कूर्म पुराण
+
|-
पुराणों में श्लोक संख्या
+
|स्कन्द पुराण
 +
|-
 +
|अग्नि पुराण
 +
|-
 +
|मत्स्य पुराण
 +
|-
 +
|कूर्म पुराण
 +
|}
 +
 
 +
===पुराणों में श्लोक संख्या===
  
 
सुखसागर के अनुसारः
 
सुखसागर के अनुसारः
  
ब्रह्मपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं ।
+
{|
पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या पचपन हजार हैं ।
+
|ब्रह्मपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं ।
विष्णुपुराण में श्लोकों की संख्या तेइस हजार हैं ।
+
|-
शिवपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं ।
+
|पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या पचपन हजार हैं ।
श्रीमद्भावतपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं ।
+
|-
नारदपुराण में श्लोकों की संख्या पच्चीस हजार हैं ।
+
|विष्णुपुराण में श्लोकों की संख्या तेइस हजार हैं ।
मार्कण्डेयपुराण में श्लोकों की संख्या नौ हजार हैं ।
+
|-
अग्निपुराण में श्लोकों की संख्या पन्द्रह हजार हैं ।
+
|शिवपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं ।
भविष्यपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार पाँच सौ हैं ।
+
|-
ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं ।
+
|श्रीमद्भावतपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं ।
लिंगपुराण में श्लोकों की संख्या ग्यारह हजार हैं ।
+
|-
वाराहपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं ।
+
|नारदपुराण में श्लोकों की संख्या पच्चीस हजार हैं ।
स्कन्धपुराण में श्लोकों की संख्या इक्यासी हजार एक सौ हैं ।
+
|-
वामनपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं ।
+
|मार्कण्डेयपुराण में श्लोकों की संख्या नौ हजार हैं ।
कूर्मपुराण में श्लोकों की संख्या सत्रह हजार हैं ।
+
|-
मत्सयपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार हैं ।
+
|अग्निपुराण में श्लोकों की संख्या पन्द्रह हजार हैं ।
गरुड़पुराण में श्लोकों की संख्या उन्नीस हजार हैं ।
+
|-
 +
|भविष्यपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार पाँच सौ हैं ।
 +
|-
 +
|ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं ।
 +
|-
 +
|लिंगपुराण में श्लोकों की संख्या ग्यारह हजार हैं ।
 +
|-
 +
|वाराहपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं ।
 +
|-
 +
|स्कन्धपुराण में श्लोकों की संख्या इक्यासी हजार एक सौ हैं ।
 +
|-
 +
|वामनपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं ।
 +
|-
 +
|कूर्मपुराण में श्लोकों की संख्या सत्रह हजार हैं ।
 +
|-
 +
|मत्सयपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार हैं ।
 +
|-
 +
|गरुड़पुराण में श्लोकों की संख्या उन्नीस हजार हैं ।
 +
|-
 
ब्रह्माण्डपुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं ।
 
ब्रह्माण्डपुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं ।
 +
|}

०६:४५, १२ मई २००९ का अवतरण

पुराण

पुराण, वैदिक काल के काफ़ी बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं । पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है । पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण कहा जा सकता है । इस दर्पण में मनुष्य अपने प्रत्येक युग का चेहरा देख सकता है । इस दर्पण में अपने अतीत को देखकर वह अपना वर्तमान संवार सकता है और भविष्य को उज्जवल बना सकता है । अतीत में जो हुआ, वर्तमान में जो हो रहा है और भविष्य में जो होगा, यही कहते हैं पुराण । इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है । 18 विख्यात पुराण हैं :

===विष्णु पुराण===
भागवत पुराण
नारद पुराण या नारदेय पुराण
गरुड़ पुराण
पद्म पुराण
वाराह पुराण
===ब्रह्मा पुराण===
ब्रह्म पुराण
ब्रह्माण्ड पुराण
ब्रह्म वैवर्त पुराण
मार्कण्डेय पुराण (यह महत्वपूर्ण पुराण शाक्त पंथ के लिये खास है क्योंकि इसमें देवी महात्मय)
भविष्य पुराण
वामन पुराण
===शिव पुराण===
वायु पुराण
लिङ्ग पुराण
स्कन्द पुराण
अग्नि पुराण
मत्स्य पुराण
कूर्म पुराण

पुराणों में श्लोक संख्या

सुखसागर के अनुसारः

ब्रह्माण्डपुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं ।
ब्रह्मपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं ।
पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या पचपन हजार हैं ।
विष्णुपुराण में श्लोकों की संख्या तेइस हजार हैं ।
शिवपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं ।
श्रीमद्भावतपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं ।
नारदपुराण में श्लोकों की संख्या पच्चीस हजार हैं ।
मार्कण्डेयपुराण में श्लोकों की संख्या नौ हजार हैं ।
अग्निपुराण में श्लोकों की संख्या पन्द्रह हजार हैं ।
भविष्यपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार पाँच सौ हैं ।
ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं ।
लिंगपुराण में श्लोकों की संख्या ग्यारह हजार हैं ।
वाराहपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं ।
स्कन्धपुराण में श्लोकों की संख्या इक्यासी हजार एक सौ हैं ।
वामनपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं ।
कूर्मपुराण में श्लोकों की संख्या सत्रह हजार हैं ।
मत्सयपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार हैं ।
गरुड़पुराण में श्लोकों की संख्या उन्नीस हजार हैं ।