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− | शिवपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं । | + | |पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या पचपन हजार हैं । |
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− | नारदपुराण में श्लोकों की संख्या पच्चीस हजार हैं । | + | |विष्णुपुराण में श्लोकों की संख्या तेइस हजार हैं । |
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− | वामनपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं । | + | |मार्कण्डेयपुराण में श्लोकों की संख्या नौ हजार हैं । |
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− | गरुड़पुराण में श्लोकों की संख्या उन्नीस हजार हैं । | + | |- |
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ब्रह्माण्डपुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं । | ब्रह्माण्डपुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं । | ||
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११:४१, १३ मई २००९ का अवतरण
पुराण
पुराण, वैदिक काल के काफ़ी बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं । पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है । पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण कहा जा सकता है । इस दर्पण में मनुष्य अपने प्रत्येक युग का चेहरा देख सकता है । इस दर्पण में अपने अतीत को देखकर वह अपना वर्तमान संवार सकता है और भविष्य को उज्जवल बना सकता है । अतीत में जो हुआ, वर्तमान में जो हो रहा है और भविष्य में जो होगा, यही कहते हैं पुराण । इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है । 18 विख्यात पुराण हैं :
विष्णु पुराण
भागवत पुराण |
नारद पुराण या नारदेय पुराण |
गरुड़ पुराण |
पद्म पुराण |
वाराह पुराण |
ब्रह्मा पुराण
ब्रह्म पुराण |
ब्रह्माण्ड पुराण |
ब्रह्म वैवर्त पुराण |
मार्कण्डेय पुराण (यह महत्वपूर्ण पुराण शाक्त पंथ के लिये खास है क्योंकि इसमें देवी महात्मय) |
भविष्य पुराण |
वामन पुराण |
शिव पुराण
वायु पुराण |
लिङ्ग पुराण |
स्कन्द पुराण |
अग्नि पुराण |
मत्स्य पुराण |
कूर्म पुराण |
पुराणों में श्लोक संख्या
सुखसागर के अनुसारः
ब्रह्माण्डपुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं ।ब्रह्मपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं । |
पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या पचपन हजार हैं । |
विष्णुपुराण में श्लोकों की संख्या तेइस हजार हैं । |
शिवपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं । |
श्रीमद्भावतपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं । |
नारदपुराण में श्लोकों की संख्या पच्चीस हजार हैं । |
मार्कण्डेयपुराण में श्लोकों की संख्या नौ हजार हैं । |
अग्निपुराण में श्लोकों की संख्या पन्द्रह हजार हैं । |
भविष्यपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार पाँच सौ हैं । |
ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं । |
लिंगपुराण में श्लोकों की संख्या ग्यारह हजार हैं । |
वाराहपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं । |
स्कन्धपुराण में श्लोकों की संख्या इक्यासी हजार एक सौ हैं । |
वामनपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं । |
कूर्मपुराण में श्लोकों की संख्या सत्रह हजार हैं । |
मत्सयपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार हैं । |
गरुड़पुराण में श्लोकों की संख्या उन्नीस हजार हैं । |