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प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।<br /> | प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।<br /> | ||
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।<br /> | तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।<br /> | ||
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११:२६, २९ सितम्बर २००९ का अवतरण
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प्रयाग तीर्थ / Prayag Tirth
प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।
यहाँ तीर्थराज प्रयाग भगवद् आराधना करते हैं। यहीं पर प्रयाग के वेणीमाधव नित्य अवस्थित रहते हैं। यहाँ स्नान करने वाले अग्निष्टोम आदि का फल प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होते हैं।