प्राकृत
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प्राकृत भाषा /Prakrit Dialect
प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई0पू0 से 1000 ई0 सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब संस्कृत का महत्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।
- अर्धमागधी प्राकृत- इसमें जैन और बौद्ध साहित्य अधिक है। इसका मुख्य क्षेत्र मगध था।
- पैशाची प्राकृत- इसका क्षेत्र देश का पश्चिमोत्तर भाग था और विद्वान कश्मीरी आदि भाषा को इसकी उत्तराधिकारी भाषा मानते हैं।
- महाराष्ट्री प्राकृत- यह व्यापक रूप से प्रचलित थी और महाराष्ट्र में फैली होने के कारण इस नाम से पहिचानी जाती थी।
- शौरसेनी प्राकृत- इसका क्षेत्र मथुरा और मध्य प्रदेश का अंचल था। इस भाषा में अनेक ग्रंथ रचे गए जिनमें जैन धर्मग्रंथों की संख्या अधिक हैं संस्कृत के प्राचीन नाटकों में भी स्त्री पात्रों और जनसामान्य के संवादों के लिए प्राकृत भाषा का ही प्रयोग हुआ है।