"बहुलावन" के अवतरणों में अंतर
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छटीकरा से 4 कि. मी. पश्चिम-दक्षिण दिशा में वाटी गांगँवाऊँगा स्थित है । इस गांव का प्राचीनतम नाम बहुलावन है । गांव में बहुला कुण्ड स्थित है । कुण्ड के तट पर श्री लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बहुला नामक गाय का स्थान, सुदर्शनचक्र का चिन्ह, श्री कुण्डेश्वर महादेव एंव श्री [[वल्लभाचार्य]] जी की बैठक दर्शनीय है । इस गांव में श्री [[कृष्ण]] कुण्ड नाम से एक और कुण्ड भी दर्शनीय है । द्वादश वन (बारह वनों में) में बहुला नामक वन पंचम वन एंव वनों में से श्रेष्ठ है । जो लोग इस वन में आते है वे मृत्यु पश्चात अग्निलोक को प्राप्त होते है । | छटीकरा से 4 कि. मी. पश्चिम-दक्षिण दिशा में वाटी गांगँवाऊँगा स्थित है । इस गांव का प्राचीनतम नाम बहुलावन है । गांव में बहुला कुण्ड स्थित है । कुण्ड के तट पर श्री लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बहुला नामक गाय का स्थान, सुदर्शनचक्र का चिन्ह, श्री कुण्डेश्वर महादेव एंव श्री [[वल्लभाचार्य]] जी की बैठक दर्शनीय है । इस गांव में श्री [[कृष्ण]] कुण्ड नाम से एक और कुण्ड भी दर्शनीय है । द्वादश वन (बारह वनों में) में बहुला नामक वन पंचम वन एंव वनों में से श्रेष्ठ है । जो लोग इस वन में आते है वे मृत्यु पश्चात अग्निलोक को प्राप्त होते है । | ||
आजकल यहां वाटी का गांव बसा है बहुला नामक गांव की पौराणिक गाथा इसी वन से सम्बन्धित है । यहां जाने पर गणेशरा ,दतिया एवं फेचरी गांव पड़ते हैं । दतिया से दन्त चक्र मारा गया था । | आजकल यहां वाटी का गांव बसा है बहुला नामक गांव की पौराणिक गाथा इसी वन से सम्बन्धित है । यहां जाने पर गणेशरा ,दतिया एवं फेचरी गांव पड़ते हैं । दतिया से दन्त चक्र मारा गया था । | ||
फेचरी पूतना का स्थान है । | फेचरी पूतना का स्थान है । |
०२:५१, २२ जुलाई २००९ का अवतरण
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बहुलावन/वाटी / Bahulavan
छटीकरा से 4 कि. मी. पश्चिम-दक्षिण दिशा में वाटी गांगँवाऊँगा स्थित है । इस गांव का प्राचीनतम नाम बहुलावन है । गांव में बहुला कुण्ड स्थित है । कुण्ड के तट पर श्री लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बहुला नामक गाय का स्थान, सुदर्शनचक्र का चिन्ह, श्री कुण्डेश्वर महादेव एंव श्री वल्लभाचार्य जी की बैठक दर्शनीय है । इस गांव में श्री कृष्ण कुण्ड नाम से एक और कुण्ड भी दर्शनीय है । द्वादश वन (बारह वनों में) में बहुला नामक वन पंचम वन एंव वनों में से श्रेष्ठ है । जो लोग इस वन में आते है वे मृत्यु पश्चात अग्निलोक को प्राप्त होते है । आजकल यहां वाटी का गांव बसा है बहुला नामक गांव की पौराणिक गाथा इसी वन से सम्बन्धित है । यहां जाने पर गणेशरा ,दतिया एवं फेचरी गांव पड़ते हैं । दतिया से दन्त चक्र मारा गया था । फेचरी पूतना का स्थान है ।