भद्रवन
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
श्रीभद्रवन / Bhadravan
हे भद्रस्वरूप भद्रवन! आप सर्वदा सबका कल्याणकारी तथा अमग्ङल नाश करनेवाले हो, आपको पुन: पुन: नमस्कार है। [१] नन्दघाट से दो मील दक्षिण-पूर्व में यमुना के उस पार यह लीलास्थली है। यह श्री कृष्ण और श्री बलराम के गोचारण का स्थान है। श्रीबलभद्र के नामानुसार इस वन का नाम भद्रवन पड़ा है। यहाँ भद्रसरोवर और गोचारण स्थल दर्शनीय हैं।
भद्रसरोवर
हे भद्र सरोवर! हे तीर्थराज! आपको नमस्कार है। आप यज्ञ-स्वरूप हैं तथा अखण्ड राज्यपद को देने वाले हैं। इस सरोवर में स्नान करने वाला व्यक्ति अनन्त वैभव प्राप्त करता है। तथा अन्त में श्रीकृष्ण-बलदेव की प्रेमभक्ति प्राप्तकर कृतार्थ हो जाता है। [२] इस सरोवर में स्नान करने वाला व्यक्ति अनन्त वैभव-सुखभोग कर अन्त में श्रीकृष्ण-श्रीबलदेव की प्रेमभक्ति प्राप्तकर कृतार्थ हो जाता है।
टीका-टिप्पणी
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- ब्रज के वन
- कोटवन|कोटवन
- काम्यवन|काम्यवन
- कुमुदवन|कुमुदवन
- कोकिलावन|कोकिलावन
- खदिरवन|खदिरवन
- तालवन|तालवन
- बहुलावन|बहुलावन
- बिहारवन|बिहारवन
- बेलवन|बेलवन
- भद्रवन|भद्रवन
- भांडीरवन|भांडीरवन
- मधुवन|मधुवन
- महावन|महावन
- लौहजंघवन|लौहजंघवन
- वृन्दावन|वृन्दावन
</sidebar>