"मकर संक्रांति" के अवतरणों में अंतर

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०५:४६, १६ नवम्बर २००९ का अवतरण


मकर संक्राति / Makar Sankranti

रंग-बिरंगा त्यौहार मकर संक्रान्ति प्रत्येक वर्ष जनवरी महीने में समस्त भारत में मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है, जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। परम्परा से यह विश्वास किया जाता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह वैदिक उत्सव है । इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है । गुड़–तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है ।

मान्यता

यह विश्वास किया जाता है कि इस अवधि में देहत्याग करने वाले व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। महाभारत महाकाव्य में वयोवृद्ध योद्धा पितामह भीष्म पांडवों और कौरवों के बीच हुए कुरूक्षेत्र युद्ध में सांघातिक रूप से घायल हो गये थे। उन्हें इच्छा-मृत्यु का वरदान प्राप्त था। पांडव वीर अर्जुन द्वारा रचित बाणशैया पर पड़े वे उत्तरायण अवधि की प्रतीक्षा करते रहे। उन्होंने सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर ही अंतिम सांस ली जिससे उनका पुनर्जन्म न हो।

पंजाब में लो़ढ़ी

मकर संक्रान्ति भारत के अन्य क्षेत्रों में भी धार्मिक उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पंजाब में इसे लो़ढ़ी कहते हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में नई फसल की कटाई के अवसर पर मनाया जाता है। पुरुष और स्त्रियाँ गाँव के चौक पर उत्सवाग्नि के चारों ओर परम्परागत वेशभूषा में लोकप्रिय नृत्य भांगड़ा का प्रदर्शन करते हैं। स्त्रियाँ इस अवसर पर अपनी हथेलियों और पाँवों पर आकर्षक आकृतियों में मेहन्दी रचती हैं।

बंगाल में मकर-सक्रांति

पश्चिम बंगाल में मकर सक्रांति के दिन देश भर के तीर्थयात्री गंगासागर द्वीप पर एकत्र होते हैं , जहाँ गंगा बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। एक धार्मिक मेला, जिसे गंगासागर मेला कहते हैं, इस समारोह की महत्वपूर्ण विशेषता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस संगम पर डुबकी लगाने से सारा पाप धुल जाता है।

कर्नाटक में मकर-सक्रांति

कर्नाटक में भी फसल का त्यौहार शान से मनाया जाता है। बैलों और गायों को सुसज्जित कर उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है। नये परिधान में सजे नर-नारी , ईख , सूखा नारियल और भुने चने के साथ एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। पंतगबाजी इस अवसर का लोकप्रिय परम्परागत खेल है।

गुजरात में मकर-सक्रांति

गुजरात का क्षितिज भी संक्रान्ति के अवसर पर रंगबिरंगी पंतगों से भर जाता है। गुजराती लोग संक्रान्ति को एक शुभ दिवस मानते हैं और इस अवसर पर छात्रों को छात्रवृतियाँ और पुरस्कार बाँटते हैं।

केरल में मकर-सक्रांति

केरल में भगवान अयप्पा की निवास स्थली सबरीमाला की वार्षिक तीर्थयात्रा की अवधि मकर संक्रान्ति के दिन ही समाप्त होती है , जब सुदूर पर्वतों के क्षितिज पर एक दिव्य आभा ‘ मकर ज्योति ’ दिखाई पड़ती है।


मकर संक्रान्ति भारत के भिन्न-भिन्न लोगों के लिए भिन्न-भिन्न अर्थ रखती है। किन्तु सदा की भॉंति , नानाविधी उत्सवों को एक साथ पिरोने वाला एक सर्वमान्य सूत्र है, जो इस अवसर को अंकित करता है यदि दीपावली ज्योति का पर्व है तो संक्रान्ति शस्य पर्व है, नई फसल का स्वागत करने तथा समृद्धि व सम्पन्नता के लिए प्रार्थना करने का एक अवसर है।



साँचा:पर्व और त्यौहार