मरीचि
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०२:०३, ५ मार्च २०१० का अवतरण (Text replace - '[[category' to '[[Category')
मरीचि / Marichi
1. ब्रह्मा के दस मानास पुत्रों में से एक जिसकी उत्पत्ति उनके नेत्र से हुई थी। यह दक्ष का दामाद और शंकर का साढू था। इसकी पत्नि दक्ष-कन्या संभूति थी। भागवत में पत्नियों के नाम कर्दम्कन्या कला और ऊर्णा मिलते हैं। दक्ष के यज्ञ में इसने भी शंकर का अपमान किया था। इस पर शंकर ने इसे भस्म कर डाला।
2. एक धर्मशास्त्रकार जिसके मतों के उदाहरण विभिन्न प्राचीन ग्रंथो से मिलते हैं। अचल संपत्ति के संबंध में मरीचि का कथन है - यदि अचल संपत्ति किसी के हाथ बेचनी है,खरीदनी है,दान में देनी है अथवा उसका बंटवारा होना है तो यह सारे कार्य मौखिक न होकर लिखित होने चाहिए। तभी ये कार्य नियमानुकुल हैं।
मरीचि के अनुसार मानसिक व्याधि चार प्रकार की होती है- भोग्य,गोप्य,प्रत्यक्ष और अज्ञात ।
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- ॠषि-मुनि
- अंगिरा|अंगिरा
- अगस्त्य|अगस्त्य
- अत्रि|अत्रि
- अदिति|अदिति
- अनुसूया|अनुसूया
- अपाला|अपाला
- अरुन्धती|अरुन्धती
- आंगिरस|आंगिरस
- उद्दालक|उद्दालक
- कण्व|कण्व
- कपिल|कपिल
- कश्यप|कश्यप
- कात्यायन|कात्यायन
- क्रतु|क्रतु
- गार्गी|गार्गी
- गालव|गालव
- गौतम|गौतम
- घोषा|घोषा
- चरक|चरक
- च्यवन|च्यवन
- त्रिजट मुनि|त्रिजट
- जैमिनि|जैमिनि
- दत्तात्रेय|दत्तात्रेय
- दधीचि|दधीचि
- दिति|दिति
- दुर्वासा|दुर्वासा
- धन्वन्तरि|धन्वन्तरि
- नारद|नारद
- पतंजलि|पतंजलि
- परशुराम|परशुराम
- पराशर|पराशर
- पुलह|पुलह
- पिप्पलाद|पिप्पलाद
- पुलस्त्य|पुलस्त्य
- भारद्वाज|भारद्वाज
- भृगु|भृगु
- मरीचि|मरीचि
- याज्ञवल्क्य|याज्ञवल्क्य
- रैक्व|रैक्व
- लोपामुद्रा|लोपामुद्रा
- वसिष्ठ|वसिष्ठ
- वाल्मीकि|वाल्मीकि
- विश्वामित्र|विश्वामित्र
- व्यास|व्यास
- शुकदेव|शुकदेव
- शुक्राचार्य|शुक्राचार्य
- सत्यकाम जाबाल|सत्यकाम जाबाल
- सप्तर्षि|सप्तर्षि
</sidebar>