"मल्ल विद्या" के अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - '[[category' to '[[Category') |
छो (Text replace - 'यहां' to 'यहाँ') |
||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{Menu}}<br/ > | {{Menu}}<br/ > | ||
==मल्ल विद्या / Wrestling== | ==मल्ल विद्या / Wrestling== | ||
− | हलधर नाम से किसानों में पूज्य और मल विद्या के प्रणेता [[बलराम]] जी की जीवन शैली का प्रभाव ब्रजवासियों पर भरपूर हैं । हर क्षेत्र में अखाड़े–बगीचियों पर प्रात: सायं बेला में मल्ल विद्या गुर सीख | + | हलधर नाम से किसानों में पूज्य और मल विद्या के प्रणेता [[बलराम]] जी की जीवन शैली का प्रभाव ब्रजवासियों पर भरपूर हैं । हर क्षेत्र में अखाड़े–बगीचियों पर प्रात: सायं बेला में मल्ल विद्या गुर सीख यहाँ के पहलवान दूर –दूर नाम रोशन कर रहे हैं । सेना में [[मथुरा]] के अनगिनत शूरवीर योद्धा मल्ल विद्या के पारंगत आचार्य सूदन ने सूजान चरित्र में इन सबका उल्लेख गर्व के साथ किया है । अलीदत्त, कुलीदत्त, देविया, खैलाराम, जगन्नाथ गुरु, भगवंत दंगली आदि पुराने मल्लों के विषयों में चमत्कारी घटनायें प्रसिद्ध हैं । ये नरभक्षी सिंहों, हाथियों, साँड़ों, भैसों, रीछों एवं मगरों आदि से मल्ल युद्ध कर विजयी हुए और पुरस्कार स्वरूप गांव में ज़मीनें प्राप्त की । इनके विपुल आहार के विषय में मनोरंजक वर्णन है । 19 वीं सदी में मथुरा के मल्ल बड़ौदा नरेश खाड़ेराव के यहाँ सम्मानित थे और यहाँ के लगभग पचास मल्ल इनके यहाँ रहते थे । बल्देव गुरु को महामना [[मदनमोहन मालवीय]] जी ने सम्मानित किया और प्रथम राष्ट्रपति डाँ0 राजेन्द्र प्रसाद से भी सम्मान पाया । |
<br /> | <br /> | ||
[[Category:कोश]] | [[Category:कोश]] | ||
[[Category:प्राचीन संस्कृति]] | [[Category:प्राचीन संस्कृति]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
१०:३२, ११ मई २०१० का अवतरण
मल्ल विद्या / Wrestling
हलधर नाम से किसानों में पूज्य और मल विद्या के प्रणेता बलराम जी की जीवन शैली का प्रभाव ब्रजवासियों पर भरपूर हैं । हर क्षेत्र में अखाड़े–बगीचियों पर प्रात: सायं बेला में मल्ल विद्या गुर सीख यहाँ के पहलवान दूर –दूर नाम रोशन कर रहे हैं । सेना में मथुरा के अनगिनत शूरवीर योद्धा मल्ल विद्या के पारंगत आचार्य सूदन ने सूजान चरित्र में इन सबका उल्लेख गर्व के साथ किया है । अलीदत्त, कुलीदत्त, देविया, खैलाराम, जगन्नाथ गुरु, भगवंत दंगली आदि पुराने मल्लों के विषयों में चमत्कारी घटनायें प्रसिद्ध हैं । ये नरभक्षी सिंहों, हाथियों, साँड़ों, भैसों, रीछों एवं मगरों आदि से मल्ल युद्ध कर विजयी हुए और पुरस्कार स्वरूप गांव में ज़मीनें प्राप्त की । इनके विपुल आहार के विषय में मनोरंजक वर्णन है । 19 वीं सदी में मथुरा के मल्ल बड़ौदा नरेश खाड़ेराव के यहाँ सम्मानित थे और यहाँ के लगभग पचास मल्ल इनके यहाँ रहते थे । बल्देव गुरु को महामना मदनमोहन मालवीय जी ने सम्मानित किया और प्रथम राष्ट्रपति डाँ0 राजेन्द्र प्रसाद से भी सम्मान पाया ।