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+ | === ब्रज शब्द से अभिप्राय === | ||
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+ | ब्रज शब्द से अभिप्राय सामान्यत: मथुरा ज़िला और उसके आस-पास का क्षेत्र समझा जाता है। [[वेद|वैदिक साहित्य]] में ब्रज शब्द का प्रयोग प्राय: पशुओं के समूह, उनके चारागाह (चरने के स्थान) या उनके बाडे़ के अर्थ में है। [[रामायण]], [[महाभारत]] और समकालीन संस्कृत साहित्य में सामान्यत: यही अर्थ '[[ब्रज]]' का संदर्भ है। 'स्थान' के अर्थ में ब्रज शब्द का उपयोग [[पुराणों]] में गाहे-बगाहे आया है, विद्वान मानते हैं कि यह [[गोकुल]] के लिये प्रयुक्त है। 'ब्रज' शब्द का चलन भक्ति आंदोलन के दौरान पूरे चरम पर पहुँच गया। चौदहवीं शताब्दी की कृष्ण भक्ति की व्यापक लहर ने ब्रज शब्द की पवित्रता को जन-जन में पूर्ण रूप से प्रचारित कर दिया । [[सूर]], [[मीरां]] (मीरा), [[तुलसीदास]], [[रसखान]] के भजन तो जैसे आज भी ब्रज के वातावरण में गूंजते रहते हैं। | ||
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+ | कृष्ण भक्ति में ऐसा क्या है जिसने मीरां (मीरा) से राज-पाट छुड़वा दिया और सूर की रचनाओं की गहराई को जानकर विश्व भर में इस विषय पर ही शोध होता रहा कि सूर वास्तव में दृष्टिहीन थे भी या नहीं। संगीत विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्रज में सोलह हज़ार राग रागनिंयों का निर्माण हुआ था। जिन्हें कृष्ण की रानियाँ भी कहा जाता है । ब्रज में ही [[स्वामी हरिदास]] का जीवन, 'एक ही वस्त्र और एक मिट्टी का करवा' नियम पालन में बीता और इनका गायन सुनने के लिए राजा महाराजा भी कुटिया के द्वार पर आसन जमाए घन्टों बैठे रहते थे। [[बैजूबावरा]], [[तानसेन]], [[नायक बख़्शू]] ([[ध्रुपद]]-[[धमार]]) जैसे अमर संगीतकारों ने संगीत की सेवा ब्रज में रहकर ही की थी। [[अष्टछाप]] कवियों के अलावा [[बिहारी]], [[अमीर ख़ुसरो]], [[भूषण]], [[घनानन्द]] आदि ब्रज भाषा के कवि, साहित्य में अमर हैं। ब्रज भाषा के साहित्यिक प्रयोग के उदाहरण महाराष्ट्र में तेरहवीं शती में मिलते हैं। बाद में उन्नीसवीं शती तक गुजरात, असम, मणिपुर, केरल तक भी साहित्यिक [[ब्रजभाषा]] का प्रयोग हुआ। ब्रज भाषा के प्रयोग के बिना शास्त्रीय गायन की कल्पना करना भी असंभव है। आज भी फ़िल्मों के गीतों में मधुरता लाने के लिए ब्रज भाषा का ही प्रयोग होता है। | ||
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+ | '''मथुरा की बेटी गोकुल की गाय। करम फूटै तौ अनत जाय।''' मथुरा (ब्रज-क्षेत्र) की बेटियों का विवाह ब्रज में ही होने की परम्परा थी और [[गोकुल]] की गायों गोकुल से बाहर भेजने की परम्परा नहीं थी । चूँकि कि पुत्री को 'दुहिता' कहा गया है अर्थात गाय दुहने और गऊ सेवा करने वाली। इसलिए बेटी गऊ की सेवा से वंचित हो जाती है और गायों की सेवा ब्रज जैसी होना बाहर कठिन है। वृद्ध होने पर गायों को कटवा भी दिया जाता था, जो ब्रज में संभव नहीं था। '''ब्रजहिं छोड़ बैकुंठउ न जइहों'''। ब्रज को छोड़ कर स्वर्ग के आनंद भोगने का मन भी नहीं होता। '''मानुस हों तो वही [[रसखान]], बसों ब्रज गोकुल गाँव की ग्वारन।''' इस प्रकार के अनेक उदाहरण हैं जो ब्रजको अद्भुत बनाते हैं। ब्रज के संतों ने और ब्रजवासियों ने तो कभी मोक्ष की कामना भी नहीं की क्योंकि ब्रज में इह लीला के समाप्त होने पर ब्रजवासी, ब्रज में ही वृक्ष का रूप धारण करता है अर्थात [[ब्रजवासी]] मृत्यु के पश्चात स्वर्गवासी न होकर ब्रजवासी ही रहता है और यह क्रम अनन्त काल से चल रहा है। ऐसी मान्यता है ब्रज की । | ||
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+ | [[ब्रज]] '''|''' [[मथुरा एक झलक]] '''|''' [[वृन्दावन]] '''|''' [[गोवर्धन]] '''|''' [[बरसाना]] '''|''' [[महावन]] '''|''' [[गोकुल]] '''|''' [[बलदेव मन्दिर|बलदेव]] '''|''' [[कृष्ण जन्मभूमि]] '''|''' [[द्वारिकाधीश मन्दिर]] '''|''' [[यमुना]] '''|''' [[बांके बिहारी मन्दिर]] '''|''' [[इस्कॉन मन्दिर]] '''|''' [[रंग नाथ जी का मन्दिर]] '''|''' [[गोविन्द देव जी का मंदिर]] | ||
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+ | | style="background-color:#F9F9FF;border:1px solid #9B9BFF;padding:10px;" valign="top" | <div style="background-color: #B0B0FF;;"><span style="color: rgb(153, 0, 0);">'''…लेख, नज़रिया, कथा, कविता'''</span></div> | ||
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− | | | + | [[वेद|वेद]] '''|''' [[उपनिषद|उपनिषद]] '''|''' [[रामायण|रामायण]] '''|''' [[महाभारत|महाभारत]] '''|''' [[गीता|गीता]] '''|''' [[पुराण|पुराण]] '''|''' [[कथा साहित्य|कथा साहित्य]] '''|''' [[पुस्तकें|अन्य पुस्तकें]] '''|''' [[मूर्ति कला|ब्रज की मूर्ति कला]] |
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+ | [[स्वतंत्रता सेनानी सूची]] '''|''' [[सनातन गोस्वामी]] '''|''' [[गोकुल सिंह]] '''|''' [[सूरदास]] | ||
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− | [ | + | [http://hi.braj.org/index.php?option=com_content&view=section&id=20&Itemid=54 फ़ोटो गैलरी] '''|''' [[विडियो|विडियो]] '''| '''[[मथुरा चित्र वीथिका]] '''|''' [[संग्रहालय मथुरा]] '''|''' [[जैन संग्रहालय मथुरा]] |
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− | [[ | + | [[Image:Kansa-Fair-2.jpg|right|90px]] [[विहार पंचमी]] '''|''' [[आर्य समाज#.E0.A4.B5.E0.A5.80.E0.A4.A5.E0.A4.BF.E0.A4.95.E0.A4.BE-.E0.A4.86.E0.A4.B0.E0.A5.8D.E0.A4.AF_.E0.A4.B8.E0.A4.AE.E0.A4.BE.E0.A4.9C_.E0.A4.AE.E0.A4.B9.E0.A4.BE.E0.A4.B8.E0.A4.AE.E0.A5.8D.E0.A4.AE.E0.A5.87.E0.A4.B2.E0.A4.A8_.2C.E0.A4.AE.E0.A4.A5.E0.A5.81.E0.A4.B0.E0.A4.BE|आर्य समाज सम्मेलन]] '''|''' [[कंस मेला]] '''|''' [[देवोत्थान एकादशी]] '''|''' [[अक्षय नवमी]] '''|''' [[गोपाष्टमी]] '''|''' [[गोवर्धन पूजा]] '''|''' [[होली बरसाना विडियो 1|लठा मार-होली बरसाना के विडियो]] '''|''' [[होली बल्देव विडियो 1|बल्देव होली के विडियो]] '''|''' [[रथ यात्रा वृन्दावन|रथ-यात्रा के विडियो]] |
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+ | [[Image:Krishn-title.jpg|right|100px]] [[अक्षौहिणी]] '''|''' [[क्षत्रप]] '''|''' [[कृष्ण]] '''|''' [[यमुना के घाट]] '''|''' [[अमीर ख़ुसरो]] '''|''' [[ब्रजभाषा]] '''|''' [[कृष्ण जन्मभूमि]] '''|''' [[राधाकुण्ड]] '''|''' [[कालिदास]] '''|''' [[बलदेव मन्दिर]] '''|''' [[तक्षशिला]] '''|''' [[महाजनपद]] '''|''' [[आर्यावर्त]] '''|''' [[उद्धव]] '''|''' [[क्लीसोबोरा]] '''|''' [[छान्दोग्य उपनिषद]] | ||
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०६:५४, २३ दिसम्बर २००९ का अवतरण
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…हमारी-आपकी
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…भौगोलिक स्थिति
ब्रज भाषा, रीति रिवाज़, पहनावा और ऐतिहासिक तथ्य इस सीमा का सहज आधार है।
- उत्तर- 27° 41' - पूर्व -77° 41'
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ब्रज शब्द से अभिप्रायब्रज शब्द से अभिप्राय सामान्यत: मथुरा ज़िला और उसके आस-पास का क्षेत्र समझा जाता है। वैदिक साहित्य में ब्रज शब्द का प्रयोग प्राय: पशुओं के समूह, उनके चारागाह (चरने के स्थान) या उनके बाडे़ के अर्थ में है। रामायण, महाभारत और समकालीन संस्कृत साहित्य में सामान्यत: यही अर्थ 'ब्रज' का संदर्भ है। 'स्थान' के अर्थ में ब्रज शब्द का उपयोग पुराणों में गाहे-बगाहे आया है, विद्वान मानते हैं कि यह गोकुल के लिये प्रयुक्त है। 'ब्रज' शब्द का चलन भक्ति आंदोलन के दौरान पूरे चरम पर पहुँच गया। चौदहवीं शताब्दी की कृष्ण भक्ति की व्यापक लहर ने ब्रज शब्द की पवित्रता को जन-जन में पूर्ण रूप से प्रचारित कर दिया । सूर, मीरां (मीरा), तुलसीदास, रसखान के भजन तो जैसे आज भी ब्रज के वातावरण में गूंजते रहते हैं। कृष्ण भक्ति में ऐसा क्या है जिसने मीरां (मीरा) से राज-पाट छुड़वा दिया और सूर की रचनाओं की गहराई को जानकर विश्व भर में इस विषय पर ही शोध होता रहा कि सूर वास्तव में दृष्टिहीन थे भी या नहीं। संगीत विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्रज में सोलह हज़ार राग रागनिंयों का निर्माण हुआ था। जिन्हें कृष्ण की रानियाँ भी कहा जाता है । ब्रज में ही स्वामी हरिदास का जीवन, 'एक ही वस्त्र और एक मिट्टी का करवा' नियम पालन में बीता और इनका गायन सुनने के लिए राजा महाराजा भी कुटिया के द्वार पर आसन जमाए घन्टों बैठे रहते थे। बैजूबावरा, तानसेन, नायक बख़्शू (ध्रुपद-धमार) जैसे अमर संगीतकारों ने संगीत की सेवा ब्रज में रहकर ही की थी। अष्टछाप कवियों के अलावा बिहारी, अमीर ख़ुसरो, भूषण, घनानन्द आदि ब्रज भाषा के कवि, साहित्य में अमर हैं। ब्रज भाषा के साहित्यिक प्रयोग के उदाहरण महाराष्ट्र में तेरहवीं शती में मिलते हैं। बाद में उन्नीसवीं शती तक गुजरात, असम, मणिपुर, केरल तक भी साहित्यिक ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ। ब्रज भाषा के प्रयोग के बिना शास्त्रीय गायन की कल्पना करना भी असंभव है। आज भी फ़िल्मों के गीतों में मधुरता लाने के लिए ब्रज भाषा का ही प्रयोग होता है। |
ब्रज की मान्यतामथुरा की बेटी गोकुल की गाय। करम फूटै तौ अनत जाय। मथुरा (ब्रज-क्षेत्र) की बेटियों का विवाह ब्रज में ही होने की परम्परा थी और गोकुल की गायों गोकुल से बाहर भेजने की परम्परा नहीं थी । चूँकि कि पुत्री को 'दुहिता' कहा गया है अर्थात गाय दुहने और गऊ सेवा करने वाली। इसलिए बेटी गऊ की सेवा से वंचित हो जाती है और गायों की सेवा ब्रज जैसी होना बाहर कठिन है। वृद्ध होने पर गायों को कटवा भी दिया जाता था, जो ब्रज में संभव नहीं था। ब्रजहिं छोड़ बैकुंठउ न जइहों। ब्रज को छोड़ कर स्वर्ग के आनंद भोगने का मन भी नहीं होता। मानुस हों तो वही रसखान, बसों ब्रज गोकुल गाँव की ग्वारन। इस प्रकार के अनेक उदाहरण हैं जो ब्रजको अद्भुत बनाते हैं। ब्रज के संतों ने और ब्रजवासियों ने तो कभी मोक्ष की कामना भी नहीं की क्योंकि ब्रज में इह लीला के समाप्त होने पर ब्रजवासी, ब्रज में ही वृक्ष का रूप धारण करता है अर्थात ब्रजवासी मृत्यु के पश्चात स्वर्गवासी न होकर ब्रजवासी ही रहता है और यह क्रम अनन्त काल से चल रहा है। ऐसी मान्यता है ब्रज की । |
परिचय
ब्रज | मथुरा एक झलक | वृन्दावन | गोवर्धन | बरसाना | महावन | गोकुल | बलदेव | कृष्ण जन्मभूमि | द्वारिकाधीश मन्दिर | यमुना | बांके बिहारी मन्दिर | इस्कॉन मन्दिर | रंग नाथ जी का मन्दिर | गोविन्द देव जी का मंदिर |
इतिहास
पौराणिक इतिहास | मौर्य काल | शुंग काल | शक-कुषाण काल | गुप्त काल | मध्य काल | उत्तर मध्य काल | मुग़ल काल | जाट-मराठा काल | स्वतंत्रता संग्राम 1857 | स्वतंत्रता संग्राम 1920-1947 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
…लेख, नज़रिया, कथा, कविता
रश्मिरथी तृतीय सर्ग | कच देवयानी | समुद्र मंथन | गंगावतरण | सावित्री सत्यवान | ययाति | शर्मिष्ठा |
साहित्य और दर्शन
वेद | उपनिषद | रामायण | महाभारत | गीता | पुराण | कथा साहित्य | अन्य पुस्तकें | ब्रज की मूर्ति कला | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
…इतिहास, कला, हम-ब्रजवासी
स्वतंत्रता सेनानी सूची | सनातन गोस्वामी | गोकुल सिंह | सूरदास |
वीथिका (गैलरी)
फ़ोटो गैलरी | विडियो | मथुरा चित्र वीथिका | संग्रहालय मथुरा | जैन संग्रहालय मथुरा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
…पर्व, उत्सव, त्यौहार
विहार पंचमी | आर्य समाज सम्मेलन | कंस मेला | देवोत्थान एकादशी | अक्षय नवमी | गोपाष्टमी | गोवर्धन पूजा | लठा मार-होली बरसाना के विडियो | बल्देव होली के विडियो | रथ-यात्रा के विडियो |
...कुछ लेख और मिथक
अक्षौहिणी | क्षत्रप | कृष्ण | यमुना के घाट | अमीर ख़ुसरो | ब्रजभाषा | कृष्ण जन्मभूमि | राधाकुण्ड | कालिदास | बलदेव मन्दिर | तक्षशिला | महाजनपद | आर्यावर्त | उद्धव | क्लीसोबोरा | छान्दोग्य उपनिषद | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
…प्रजातांत्रिक व्यवस्था
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…इतिहास क्रम
शुभ यात्रा... | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
…वर्णमाला क्रमानुसार पन्ने की खोज कर सकते हैं...
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