"यक्ष" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '[[category' to '[[Category')
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के ७ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
 
{{menu}}
 
{{menu}}
 
==यक्ष / Yaksha==
 
==यक्ष / Yaksha==
 +
[[चित्र:yaksha-1.jpg|यक्ष<br />Yaksha<br />[[संग्रहालय मथुरा|राजकीय संग्रहालय]], [[मथुरा]]|thumb|200px]]
 
*एक अर्ध देवयोनि यक्ष (नपुंसक लिंग) का उल्लेख [[ॠग्वेद]] में हुआ है।  
 
*एक अर्ध देवयोनि यक्ष (नपुंसक लिंग) का उल्लेख [[ॠग्वेद]] में हुआ है।  
 
*उसका अर्थ है 'जादू की शक्ति'।  
 
*उसका अर्थ है 'जादू की शक्ति'।  
[[चित्र:yaksha-1.jpg|यक्ष<br />Yaksha|thumb]]
 
 
*अतएव सम्भवत: यक्ष का अर्थ जादू की शक्तिवाला होगा और निस्सन्देह इसका अर्थ यक्षिणी है।  
 
*अतएव सम्भवत: यक्ष का अर्थ जादू की शक्तिवाला होगा और निस्सन्देह इसका अर्थ यक्षिणी है।  
 
*यक्षों की प्रारम्भिक धारणा ठीक वही थी जो पीछे विद्याधरों की हुई।  
 
*यक्षों की प्रारम्भिक धारणा ठीक वही थी जो पीछे विद्याधरों की हुई।  
पंक्ति १०: पंक्ति १०:
 
*माना गया है कि प्रारम्भ में दो प्रकार के राक्षस होते थे; एक जो रक्षा करते थे वे यक्ष कहलाये तथा दूसरे यज्ञों में बाधा उपस्थित करने वाले राक्षस कहलाये।  
 
*माना गया है कि प्रारम्भ में दो प्रकार के राक्षस होते थे; एक जो रक्षा करते थे वे यक्ष कहलाये तथा दूसरे यज्ञों में बाधा उपस्थित करने वाले राक्षस कहलाये।  
 
*यक्षों के राजा कुबेर उत्तर के दिक्पाल तथा स्वर्ग के कोषाध्यक्ष कहलाते हैं।  
 
*यक्षों के राजा कुबेर उत्तर के दिक्पाल तथा स्वर्ग के कोषाध्यक्ष कहलाते हैं।  
 
+
==वीथिका==
 
+
<gallery widths="140px" perrow="4">
 
+
चित्र:Smiling-Yaksha-Carrying-A-Bowl-Mathura-Museum-42.jpg|यक्ष<br />Yaksha
[[category: कोश]]
+
चित्र:Agni-Pani-Yaksha-Mathura-Museum-97.jpg|यक्ष<br />Yaksha
[[category:पौराणिक]]
+
चित्र:Mudgarpani-Yaksha-Mathura-Museum-72.jpg|मुदगर पाणि यक्ष<br />Mudgarpani Yaksha
 +
</gallery>
 +
[[Category: कोश]]
 +
[[Category:पौराणिक]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

०२:३७, ५ मार्च २०१० के समय का अवतरण

यक्ष / Yaksha

  • एक अर्ध देवयोनि यक्ष (नपुंसक लिंग) का उल्लेख ॠग्वेद में हुआ है।
  • उसका अर्थ है 'जादू की शक्ति'।
  • अतएव सम्भवत: यक्ष का अर्थ जादू की शक्तिवाला होगा और निस्सन्देह इसका अर्थ यक्षिणी है।
  • यक्षों की प्रारम्भिक धारणा ठीक वही थी जो पीछे विद्याधरों की हुई।
  • यक्षों को राक्षसों के निकट माना जाता है, यद्यपि वे मनुष्यों के विरोधा नहीं होते, जैसे राक्षस होते है। (अनुदार यक्ष एवं उदार राक्षस के उदाहरण भी पाये जाते हैं, किन्तु यह उनका साधारण धर्म नहीं है।)
  • यक्ष तथा राक्षस दोनों ही 'पुण्यजन' (अथर्ववेद में कुबेर की प्रजा का नाम) कहलाते हैं।
  • माना गया है कि प्रारम्भ में दो प्रकार के राक्षस होते थे; एक जो रक्षा करते थे वे यक्ष कहलाये तथा दूसरे यज्ञों में बाधा उपस्थित करने वाले राक्षस कहलाये।
  • यक्षों के राजा कुबेर उत्तर के दिक्पाल तथा स्वर्ग के कोषाध्यक्ष कहलाते हैं।

वीथिका