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यशोदा को पौराणिक ग्रंथों में [[नंद]] की पत्नी कहा गया है। [[भागवत पुराण]] में यह कहा गया है [[देवकी]] के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से [[मथुरा]] के राजा [[कंस]] के कारागार में हुआ । कंस से रक्षा करने के लिए जब [[वासुदेव]] जन्म के बाद आधी रात में ही उन्हें यशोदा के घर [[गोकुल]] में छोड़ आए तो उनका का पालन पोषण यशोदा ने किया। भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में बालक [[कृष्ण]] की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं। जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन, माखनचोरी और उसके आरोप में ओखल से बाँध देने की घटनाओं का [[सूरदास]] ने सजीव वर्णन किया है। यशोदा ने [[बलराम]] के पालन पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो [[रोहिणी]] के पुत्र और [[सुभद्रा]] के भाई थे। उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा था। | यशोदा को पौराणिक ग्रंथों में [[नंद]] की पत्नी कहा गया है। [[भागवत पुराण]] में यह कहा गया है [[देवकी]] के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से [[मथुरा]] के राजा [[कंस]] के कारागार में हुआ । कंस से रक्षा करने के लिए जब [[वासुदेव]] जन्म के बाद आधी रात में ही उन्हें यशोदा के घर [[गोकुल]] में छोड़ आए तो उनका का पालन पोषण यशोदा ने किया। भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में बालक [[कृष्ण]] की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं। जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन, माखनचोरी और उसके आरोप में ओखल से बाँध देने की घटनाओं का [[सूरदास]] ने सजीव वर्णन किया है। यशोदा ने [[बलराम]] के पालन पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो [[रोहिणी]] के पुत्र और [[सुभद्रा]] के भाई थे। उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा था। | ||
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१४:१४, २४ अगस्त २००९ का अवतरण
यशोदा / Yashoda
यशोदा को पौराणिक ग्रंथों में नंद की पत्नी कहा गया है। भागवत पुराण में यह कहा गया है देवकी के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ । कंस से रक्षा करने के लिए जब वासुदेव जन्म के बाद आधी रात में ही उन्हें यशोदा के घर गोकुल में छोड़ आए तो उनका का पालन पोषण यशोदा ने किया। भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में बालक कृष्ण की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं। जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन, माखनचोरी और उसके आरोप में ओखल से बाँध देने की घटनाओं का सूरदास ने सजीव वर्णन किया है। यशोदा ने बलराम के पालन पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो रोहिणी के पुत्र और सुभद्रा के भाई थे। उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा था।