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राजगीर बिहार प्रांत में नालंदा जिले में स्थित एक शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है । यह कभी [[मगध]] साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में [[मौर्य काल|मौर्य]] साम्राज्य का उदय हुआ ।राजगीर जिस समय मगध की राजधानी थी उस समय इसे राजगृह के नाम से जाना जाता था । [[मथुरा]] से लेकर राजगृह तक महाजनपथ का सुन्दर वर्णन [[बौद्ध]] ग्रंथों में प्राप्त होता है । मथुरा से यह रास्ता वेरंजा, सोरेय्य, संकिस्सा, कान्यकुब्ज होते हुए [[प्रयाग]] प्रतिष्ठान जाता था जहां पर [[गंगा]] पार करके [[वाराणसी]] पहुंचा जाता था ।
 
राजगीर बिहार प्रांत में नालंदा जिले में स्थित एक शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है । यह कभी [[मगध]] साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में [[मौर्य काल|मौर्य]] साम्राज्य का उदय हुआ ।राजगीर जिस समय मगध की राजधानी थी उस समय इसे राजगृह के नाम से जाना जाता था । [[मथुरा]] से लेकर राजगृह तक महाजनपथ का सुन्दर वर्णन [[बौद्ध]] ग्रंथों में प्राप्त होता है । मथुरा से यह रास्ता वेरंजा, सोरेय्य, संकिस्सा, कान्यकुब्ज होते हुए [[प्रयाग]] प्रतिष्ठान जाता था जहां पर [[गंगा]] पार करके [[वाराणसी]] पहुंचा जाता था ।
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०८:१६, १३ नवम्बर २००९ का अवतरण


राजगृह / राजगीर / Rajgrah / Rajgir

राजगीर बिहार प्रांत में नालंदा जिले में स्थित एक शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है । यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ ।राजगीर जिस समय मगध की राजधानी थी उस समय इसे राजगृह के नाम से जाना जाता था । मथुरा से लेकर राजगृह तक महाजनपथ का सुन्दर वर्णन बौद्ध ग्रंथों में प्राप्त होता है । मथुरा से यह रास्ता वेरंजा, सोरेय्य, संकिस्सा, कान्यकुब्ज होते हुए प्रयाग प्रतिष्ठान जाता था जहां पर गंगा पार करके वाराणसी पहुंचा जाता था ।