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यह भारत के एक महान संत एवं विचारक थे । इन्होंने सभी धर्मों के एकता पर जोर दिया था । रामकृष्ण परमहंस का जन्म 1834 ई. में बंगाल में हुआ था । उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं । अतः, ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया । रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे । साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं । वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधनमात्र हैं । | यह भारत के एक महान संत एवं विचारक थे । इन्होंने सभी धर्मों के एकता पर जोर दिया था । रामकृष्ण परमहंस का जन्म 1834 ई. में बंगाल में हुआ था । उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं । अतः, ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया । रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे । साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं । वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधनमात्र हैं । |
०५:५९, २५ जुलाई २००९ का अवतरण
रामकृष्ण परमहंस / Ramkrishna Paramhans
यह भारत के एक महान संत एवं विचारक थे । इन्होंने सभी धर्मों के एकता पर जोर दिया था । रामकृष्ण परमहंस का जन्म 1834 ई. में बंगाल में हुआ था । उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं । अतः, ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया । रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे । साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं । वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधनमात्र हैं ।