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− | [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग पर मथुरा से 10 मील पर स्थित छोटा-सा ग्राम है। इसका प्राचीन नाम रेणुका क्षेत्र कहा जाता है। किंवदंती है कि | + | [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग पर मथुरा से 10 मील पर स्थित छोटा-सा ग्राम है। इसका प्राचीन नाम रेणुका क्षेत्र कहा जाता है। किंवदंती है कि यहाँ महर्षि [[जमदग्नि]] का आश्रम स्थित था। एक ऊंचे टीले पर जन्मदिग्न और उनकी पत्नी रेणुका का मंदिर है। [[चित्र:surdas01.jpg|thumb|300px|[[सूरदास]], सूरसरोवर, रुनकता, [[आगरा]]<br /> Surdas, Sur Sarovar, Runakta, Agra]] |
[[चित्र:Sur Kuti Sur Sarovar Agra-15.jpg|प्रवेश द्वार, सूरसरोवर, रुनकता, [[आगरा]]<br /> Entry Gate, Sur Sarovar, Runakta, Agra|thumb|250px|left]] नीचे उनके पुत्र [[परशुराम]] के नाम पर प्रसिद्ध दूसरा मंदिर है। जनश्रुति है कि महाकवि [[सूरदास]] का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। ये मुग़ल सम्राट [[अकबर]] के समकालीन थे। [[पारसौली]] नाम के ग्राम में सूरदास का निवास-स्थान बताया जाता है। रूनकता में [[यमुना]] पूर्व दिशा की ओर बहते-बहते एकाएक घूमकर कुछ दूर तक पश्चिम की ओर बहती है। सीही नामक ग्राम को भी सूरदास का जन्मस्थान माना जाता है। | [[चित्र:Sur Kuti Sur Sarovar Agra-15.jpg|प्रवेश द्वार, सूरसरोवर, रुनकता, [[आगरा]]<br /> Entry Gate, Sur Sarovar, Runakta, Agra|thumb|250px|left]] नीचे उनके पुत्र [[परशुराम]] के नाम पर प्रसिद्ध दूसरा मंदिर है। जनश्रुति है कि महाकवि [[सूरदास]] का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। ये मुग़ल सम्राट [[अकबर]] के समकालीन थे। [[पारसौली]] नाम के ग्राम में सूरदास का निवास-स्थान बताया जाता है। रूनकता में [[यमुना]] पूर्व दिशा की ओर बहते-बहते एकाएक घूमकर कुछ दूर तक पश्चिम की ओर बहती है। सीही नामक ग्राम को भी सूरदास का जन्मस्थान माना जाता है। | ||
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१०:३३, ११ मई २०१० के समय का अवतरण
रुनकता / Runakta
मथुरा-आगरा मार्ग पर मथुरा से 10 मील पर स्थित छोटा-सा ग्राम है। इसका प्राचीन नाम रेणुका क्षेत्र कहा जाता है। किंवदंती है कि यहाँ महर्षि जमदग्नि का आश्रम स्थित था। एक ऊंचे टीले पर जन्मदिग्न और उनकी पत्नी रेणुका का मंदिर है।
नीचे उनके पुत्र परशुराम के नाम पर प्रसिद्ध दूसरा मंदिर है। जनश्रुति है कि महाकवि सूरदास का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। ये मुग़ल सम्राट अकबर के समकालीन थे। पारसौली नाम के ग्राम में सूरदास का निवास-स्थान बताया जाता है। रूनकता में यमुना पूर्व दिशा की ओर बहते-बहते एकाएक घूमकर कुछ दूर तक पश्चिम की ओर बहती है। सीही नामक ग्राम को भी सूरदास का जन्मस्थान माना जाता है।