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वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं ।
 
वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं ।
  
ऋग्वेद : इसमें देवताओं का आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं -- यही सर्वप्रथम वेद है, यह वेद मुख्यतः ऋषि मुनियों के लिये होता है ।
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*ऋग्वेद : इसमें देवताओं का आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं -- यही सर्वप्रथम वेद है, यह वेद मुख्यतः ऋषि मुनियों के लिये होता है ।
  
सामवेद : इसमें यज्ञ में गाने के लिये संगीतमय मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः गन्धर्व लोगो के लिये होता है ।
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*सामवेद : इसमें यज्ञ में गाने के लिये संगीतमय मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः गन्धर्व लोगो के लिये होता है ।
  
यजुर्वेद : इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः क्षत्रियो के लिये होता है ।
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*यजुर्वेद : इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः क्षत्रियो के लिये होता है ।
  
अथर्ववेद : इसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः व्यापारियो के लिये होता है ।
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*अथर्ववेद : इसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः व्यापारियो के लिये होता है ।

०८:०५, २९ मई २००९ का अवतरण

वेद

"विद्" का अर्थ है: जानना, ज्ञान इत्यादि वेद शब्द संस्कृत भाषा के "विद्" धातु से बना है । 'वेद' हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई । ऐसी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था । इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है । वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हजार वर्षों से चली आ रही है । वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं । वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं ।

  • ऋग्वेद : इसमें देवताओं का आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं -- यही सर्वप्रथम वेद है, यह वेद मुख्यतः ऋषि मुनियों के लिये होता है ।
  • सामवेद : इसमें यज्ञ में गाने के लिये संगीतमय मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः गन्धर्व लोगो के लिये होता है ।
  • यजुर्वेद : इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः क्षत्रियो के लिये होता है ।
  • अथर्ववेद : इसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं, यह वेद मुख्यतः व्यापारियो के लिये होता है ।