"शिव ताल" के अवतरणों में अंतर
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Anand Chauhan (चर्चा | योगदान) |
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|Near=[[संग्रहालय मथुरा|मथुरा संग्रहालय]], मथुरा रेलवे स्टेशन | |Near=[[संग्रहालय मथुरा|मथुरा संग्रहालय]], मथुरा रेलवे स्टेशन | ||
|A=निर्माणकाल- 1600 ई. | |A=निर्माणकाल- 1600 ई. | ||
− | |C=यह चतुर्भुज आकार का कुण्ड 50 फ़ीट गहरा है । यह ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है जिसके चारों कोनों पर छतरीनुमा छज्जे हैं, | + | |C=यह चतुर्भुज आकार का कुण्ड 50 फ़ीट गहरा है । यह ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है जिसके चारों कोनों पर छतरीनुमा छज्जे हैं, छोटा मेहराबदार दरवाज़ा है । तीन तरफ दीवारों के बीच में बंगलाधार छत है । चौथी तरफ पशुओं के पानी पीने के लिए ढलान है । कुण्ड के चारों तरफ दो-दो तक्षित तोरणपथ हैं जिनकी सीढ़ियाँ कुण्ड के बीच में उतरती हैं । |
|Owner=श्री महेश्वर नाथ चतुर्वेदी | |Owner=श्री महेश्वर नाथ चतुर्वेदी | ||
|Source=[[इंटैक]] | |Source=[[इंटैक]] |
१३:३५, २९ जनवरी २०१० का अवतरण
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शिव ताल / Shiv Taal
बनारस के राजा पटनीमल ने मथुरा के कई मन्दिरों का निर्माण कराया और जीर्णोद्धार कराया था। कहते है कि उसने नगर की जल की आवश्यकता की पूर्ति हेतु इस सुन्दर तालाब का निर्माण कराया और इसके पास शिव मन्दिर भी बनवाया था। यह विशाल ताल पक्का एवं काफी गहरा है। यह मथुरा परिक्रमा मार्ग में आने वाले प्रमुख स्थानों में से एक है । परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु इस कुण्ड में स्नान करते हैं और कुण्ड के सामने स्थित अछलेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं । भाद्रपद् की एकादशी के दिन सालाना मेला आयोजित किया जाता है ।
साँचा:कुण्ड