"सती बुर्ज" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> {{Incomplete}} category:कोश category:दर्शनीय-स्थल श्रेणी:मन्दिर ==सती बुर्ज ...) |
|||
पंक्ति ५: | पंक्ति ५: | ||
[[श्रेणी:मन्दिर]] | [[श्रेणी:मन्दिर]] | ||
==सती बुर्ज / Sati Burj== | ==सती बुर्ज / Sati Burj== | ||
− | [[चित्र: | + | [[चित्र:Sati-Burj-1.jpg|सती बुर्ज, [[मथुरा]]|thumb|200px]] |
[[मथुरा]] नगर में जहाँ इस समय [[विश्राम घाट]] है, वहाँ मुसलमानी शासन काल में श्मशान था । उस घाट पर हिन्दुओं के शवों का दाहसंस्कार किया जाता था । तीर्थ स्थल होने के कारण अन्य स्थानों के धर्मप्राण हिन्दू भी अपने मृतकों का वहाँ दाहकर्म करने में पुण्य मानते थे । सम्राट [[अकबर]] के श्वसुर राजा बिहारीलाल की मृत्यु सं 1630 में हुई थी, जिनकी अन्त्येष्ठी मथुरा के विश्राम घाट पर की गई थी । उस समय उनकी रानी भी वहाँ सती हुई थी । उनकी स्मृति में उनके पुत्र राजा भगवान दास ने वहाँ एक स्तंभ निर्माण कराया था, जो 'सती का बुर्ज' कहलाता है । मथुरा की वर्तमान इमारतों में यह सबसे प्रचीन है । यह बुर्ज 55 फीट ऊँचा है, और चौमंजिला बना हुआ है । ऐसा कहा जाता है, पहले यह और भी अधिक ऊँचा था; किन्तु इसका ऊपरी भाग [[ओरंगजेब]] के काल में गिरा दिया गया था । कालांतर में टूटे भाग की मरम्मत ईंट-चूने से कर दी गई थी । इसके नीचे की मंजिलों में जो खिड़कियाँ, छ्ज्जे तथा महराबें आदि हैं, उन पर बेल-बूँटे, पुष्पावली और विविध पशुओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण है । इनसे उस काल के हिन्दू स्थापत्य की एक झांकी मिलती है । इस बुर्ज के समीपवर्ती घाटों पर और भी कई गुम्मजदार पुरानी इमारतें हैं । वे भी कुछ विशिष्ट व्यक्तियों की स्मृति में बनाई गयी होंगी । | [[मथुरा]] नगर में जहाँ इस समय [[विश्राम घाट]] है, वहाँ मुसलमानी शासन काल में श्मशान था । उस घाट पर हिन्दुओं के शवों का दाहसंस्कार किया जाता था । तीर्थ स्थल होने के कारण अन्य स्थानों के धर्मप्राण हिन्दू भी अपने मृतकों का वहाँ दाहकर्म करने में पुण्य मानते थे । सम्राट [[अकबर]] के श्वसुर राजा बिहारीलाल की मृत्यु सं 1630 में हुई थी, जिनकी अन्त्येष्ठी मथुरा के विश्राम घाट पर की गई थी । उस समय उनकी रानी भी वहाँ सती हुई थी । उनकी स्मृति में उनके पुत्र राजा भगवान दास ने वहाँ एक स्तंभ निर्माण कराया था, जो 'सती का बुर्ज' कहलाता है । मथुरा की वर्तमान इमारतों में यह सबसे प्रचीन है । यह बुर्ज 55 फीट ऊँचा है, और चौमंजिला बना हुआ है । ऐसा कहा जाता है, पहले यह और भी अधिक ऊँचा था; किन्तु इसका ऊपरी भाग [[ओरंगजेब]] के काल में गिरा दिया गया था । कालांतर में टूटे भाग की मरम्मत ईंट-चूने से कर दी गई थी । इसके नीचे की मंजिलों में जो खिड़कियाँ, छ्ज्जे तथा महराबें आदि हैं, उन पर बेल-बूँटे, पुष्पावली और विविध पशुओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण है । इनसे उस काल के हिन्दू स्थापत्य की एक झांकी मिलती है । इस बुर्ज के समीपवर्ती घाटों पर और भी कई गुम्मजदार पुरानी इमारतें हैं । वे भी कुछ विशिष्ट व्यक्तियों की स्मृति में बनाई गयी होंगी । | ||
<br/> | <br/> | ||
{{mathura temple}} | {{mathura temple}} |
०८:०२, ६ सितम्बर २००९ का अवतरण
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
सती बुर्ज / Sati Burj
मथुरा नगर में जहाँ इस समय विश्राम घाट है, वहाँ मुसलमानी शासन काल में श्मशान था । उस घाट पर हिन्दुओं के शवों का दाहसंस्कार किया जाता था । तीर्थ स्थल होने के कारण अन्य स्थानों के धर्मप्राण हिन्दू भी अपने मृतकों का वहाँ दाहकर्म करने में पुण्य मानते थे । सम्राट अकबर के श्वसुर राजा बिहारीलाल की मृत्यु सं 1630 में हुई थी, जिनकी अन्त्येष्ठी मथुरा के विश्राम घाट पर की गई थी । उस समय उनकी रानी भी वहाँ सती हुई थी । उनकी स्मृति में उनके पुत्र राजा भगवान दास ने वहाँ एक स्तंभ निर्माण कराया था, जो 'सती का बुर्ज' कहलाता है । मथुरा की वर्तमान इमारतों में यह सबसे प्रचीन है । यह बुर्ज 55 फीट ऊँचा है, और चौमंजिला बना हुआ है । ऐसा कहा जाता है, पहले यह और भी अधिक ऊँचा था; किन्तु इसका ऊपरी भाग ओरंगजेब के काल में गिरा दिया गया था । कालांतर में टूटे भाग की मरम्मत ईंट-चूने से कर दी गई थी । इसके नीचे की मंजिलों में जो खिड़कियाँ, छ्ज्जे तथा महराबें आदि हैं, उन पर बेल-बूँटे, पुष्पावली और विविध पशुओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण है । इनसे उस काल के हिन्दू स्थापत्य की एक झांकी मिलती है । इस बुर्ज के समीपवर्ती घाटों पर और भी कई गुम्मजदार पुरानी इमारतें हैं । वे भी कुछ विशिष्ट व्यक्तियों की स्मृति में बनाई गयी होंगी ।
साँचा:Mathura temple