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फ़ौज़िया ख़ान
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=हारमोनियम=
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पेटी या रीड ऑर्गन भी कहलाता है। मुक्त पत्ती वाला कुंजी-फलक वाद्य, जो हाथ या पैर से संचालित धौंकनी क्र द्वारा दबाव-समकारी वायु भंडार से हवा फेंकता है, जो धातु के खांचों में कसी गई धातु-पत्तियों को कंपन देती है और वाद्य बजता है। इसमें कोई नलिका नहीं होती है और स्वर पत्ती के आकार पर निर्भर करता है। पत्तियों के अलग-अलग समूह भिन्न सुर देते हैं, ध्वनि की गुणवत्ता समूह की प्रत्येक पत्ती के चारों ओर वाले सुर-कक्ष के विशिष्ट आकार एवं आकृति पर निर्भर करती है; उदाहरणस्वरूप, संकुचित कक्ष शक्तिशाली कंपन एवं तीक्ष्म सुर निकालते हैं। सुर की प्रबलता घुटने से संचालित वायु कपाट या सीधे धौंकनी पैडल को रोककर, नियंत्रैत की जाती है, ताकि हवा आधार के बाहर से गुज़रे। वाद्य का विस्तार सामान्यतः चार या पांच सप्तक होता है।
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हारमोनियम समूह का सबसे पहला बाजा फ़िसहार्मोनिका था, जिसका निर्माण 1818 में वियना में एंटन हिक्ल ने किया था। इसे चीन के माउथ ऑर्गन या शेंग से प्रेरणा मिली, जिसे 1970 के दशक में रूस लाया गया था, जिसने यूरोप को मुक्त पत्ती से परिचित कराया और कुछ भौतिकशास्त्रियों एवं संगीतज्ञों में रुचि जगाई। अब विलुप्त अन्य क़िस्में (जैसे जॉन ग्रीन का सेराफ़ीइन), 1840 में पेरिस में अलेक्ज़ांद्रे दिबेन द्वारा निर्मित हारमोनियम से पहले अस्तित्व में थीं। 1850 के बाद मुख्य सुधार पेरिस में विक्टर मस्तेल तथा अमेरिका में जेकब एस्टे ने किया।
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हारमोनियम लोकप्रिय गिरिजाघर एवं घरेलू वाद्य यंत्र रहा, जब तक कि 1930 के दशक के बाद इलैक्टॉनिक बाजे ने उसे बाज़ार से बाहर नहीं कर दिया। इस वाद्य यंत्र के लिए संगीत रचनाएं तथा बोहेमियाई संगीतज्ञ एंतोनियन द्वोरज़ाक की दो वॉयलिन, चेलो एवं हारमोनियम के लिए चतुर्वाद्य-रचना शामिल हैं।
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=हरियाणा=
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राज्य, पश्चिमोत्तर भारत। यह पश्चिमोत्तर में पंजाब राज्य और केंद्रशासित प्रदेश चंडिगढ़, उत्तर में हिमाचल प्रदेश, पूर्व में उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और एक छोटा सा हिस्सा उत्तरांचल से और दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान राज्य से धिरा हुआ है। इसका क्षेत्रफल 44,212 वर्ग किमी है। केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ न केवल पंजाब की, बल्कि हरियाणा की भी राजधानी है।
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भाषाई आधार पर भूतपूर्व पंजाब प्रांत के दो राज्यों में पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1966 को हरियाणा अस्तित्व में आया। पंजाबीभाषी क्षेत्र पंजाब बन गया और हिंदीभाषी क्षेत्र हरियाणा बन गया। हरियाणा का अर्थ है ‘भगवान का घर’, हरि (विष्णु) और अयन (घर) से मिलकर हरियाणा शब्द बना है।
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==भौतिक एवं मानव भूगोल==
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===भू-आकृति===
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हरियाणा में दो बड़े भू-क्षेत्र है, राज्य का एक बडा हिस्सा समतल जलोढ़ मैदानों से युक्त है और पूर्वोत्तर में तीखे ढ़ाल वाली शिवालिया पहाड़ियां तथा संकरा पहाड़ी क्षेत्र है। समुद्र की सतह 210 मीटर से 270 मीटर ऊंचे मैदानी इलाकों से पानी बहकर एकमात्र बारहमासी नदी यमुना में आता है, यह राज्य की पूर्वी सीमा से होकर बहती है।0 शिवालिक पहाड़ियों से निकली अनेक मौसमी नदीयां मैदानी भागों से गुज़रति है। इनमें सबसे प्रमुख घग्घर (राज्य की उत्तरी सीमा के निकट) नदी है। ऐसा माना जाता है कि कभी यह नदी सिंधु नदी में मिलती थी, जो अब पाकिस्तान में है। इस नदी के निचले क्षेत्र में आर्य-पूर्व सभ्यता के अवशेस मिलते हैं।इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुड़गांव ज़िलों में दक्षिण से उत्तर की ओर दिल्ली तक विस्तृत अरावली पर्वत श्रृंखला के भी अवशेष मिलते हैं।
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हरियाणा के अधिकांश क्षेत्र में शुष्क और अर्द्ध शुष्क  परिस्थितियां हैं। केवल पुर्वोतर में थोड़ी आर्द्रता पाईन जाती है। यद्यपि राज्य में नहर सिंचाई प्रणाली और बड़े पैमाने पर नलकूप हैं। इसके बावजूद यहां कुछ अत्यधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र हैं, ख़ासकर दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में, तथापि यमुना व घग्घर नदी की सहायक नदीयों में कभी-कभी बाढ़ भी जाती है। गर्मियों में ख़ुब गर्मी पड़ती है और सर्दियों में खूब सर्दी। गर्मियों में (मई-जून) अधिकतम तापमान 46 डिग्री से। तक पहुंच जाता है। जनवरी में कभी-कभी न्युनतम तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है। राज्य के हिसार शहर में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है।
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पूर्वोतर में पहाड़ के तलहटी वाले क्षेत्र को छोड़कर पूरे राज्य में  मिट्टी गहरी व उर्वर है और दक्षिण-प्श्चिम में राजस्थान के मरुस्थल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में ज़मीन रेतीलि है। राज्य के कुल क्षेत्र के 4/5 भाग में खेती होती है और इसमें से लगभग तीन-चौथाई क्षेत्र सिंचित है। यद्यपि राज्य के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भागों में सिंचाई नलकूपों के ज़रिये होती है, वहीं दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में अधिकांश सिंचाई नहर के ज़रिये होती है। राज्य में वन क्षेत्र नगण्य हैं। राजमार्गों के किनारे और ऊसर ज़मीनों पर यूकलिप्टस के पेड़ उगाए गए हैं। राज्य के उत्तरी भागों में सड़क किनारे आमतौर पर शीशम (डालबर्गिया सिस्सू) के पेड़ पाए जाते हैं, जबकी दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा में कीकर (अकेशिया अरेबिका) के पेड़ व झाड़ियां आमतौर पर मिलती हैं।
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===जनजीवन===
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2001 में हरियाणा की कुल जनसंख्या 2,10,82,989 का लगभग 90 प्रतिशक हिंदू (इनमें 1/5 अनुसूचित जाति) और शेष सिक्ख, मुसलमान व अन्य जातियों के हैं। सिक्खों की अधिकांश आवादी पुर्वोत्तर व पश्चिमोत्तर में और मुसलमानों की आबादी दिल्ली के आसपास दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में संकेंद्रित है। हिंदू जाट (एक कृषक जाति) हरियाणा की कृषि अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं और पंजाब के सिक्खों की तरह भारत की सशस्त्र सेनाओं में इनका प्रमुख स्थान है। यद्यपि राज्य के 75 प्रतिशक आबादी गांवों मे/न रहती हैं, किंतु औद्योगिक, व्यापारिक और कृषि विपणन केंद्रों के रूप में शहर भी तेज़ी से उभर रहे हैं। एक लाख या उससे अधिल आबादी वाले शहर में फ़रीदाबाद संकुल, यमुना नगर, रोहतक, पानीपत, हिसार, करनाल, सोनीपत, अंबाला (शहर और छावनी), गुड़गांव, भिवानी और सिस्सा शामिल है।
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==अर्थव्यवस्था==
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कृषि की दृष्टि से हरियाणा एक समृद्ध राज्य है और यह केंद्रीय भंडार (अतिरिक्त खाद्यान्न की राष्ट्रीय संग्रहण प्रणाली) में बड़ी मात्रा में गेहूं और चावल देता है। कपास, राई, सरसों, बाजरा, चना, गन्ना, ज्वार, मक्का और आलू अन्य प्रमुख फ़सलें हैं, राज्य की कृषि प्रधानता ने हरित क्रांति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके अंतर्गत सिंचाई उर्वरक और उच्च गुणवत्ता के बिजों में बड़े पैमाने पर निवेश शामिल है। हरियाणा के कुल श्रम बल का लगभग 58 प्रतिशत कृषि में संलग्न है।
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हरियाणा ने कृषि आधारित और निर्माण उद्योगों में उल्लेखनीय प्रगति की है। इनमें प्रमुख हैं, कपास और चीनी प्रसंस्करण, कृषि उपकरण, रसायन और अनेक प्रकार की उपभोक्ता वस्तुएं, जिनमें साइकिल उल्लेखनीय है। प्रमुख राजमार्ग और रेलवे लाइनें हरियाणा से होकर गुज़रती हैं और दिल्ली से मिलती हैं, इस वजह से यह प्रदेश औद्योगिक और वाणिज्यक विकास का गलियारा बन गया है, ख़ासकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से जुड़े राज्य के हिस्सों के लिए। यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य में कुछ औद्योगिक निवेश पंजाबी उद्यमियों ने किया है, जिसका मानना है कि पंजाब के बजाय हरियाणा में निवेश करना अधिक सुरक्षित और लाभदायक है (क्योंकि दिल्ली के बाज़ार से यह नज़दीक है)।
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==प्रशासन एवं सामाजिक विशेषताएं==
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===प्रशासन===
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भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन के लिए उसे मंत्रिपरिषद से सहायता और सलाह मिलती है, जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होता है। मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति जवाबदेह होती है।
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विधानसभा का चुनाव सामान्यतः पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए होते है। हरियाणा और पंजाब के लिए एक उच्च न्यायालय है। राज्य 19 ज़िलों में बंटा हुआ है : अंबाला, भिवानी, फ़रीदाबाद, फ़तेहाबाद , गुड़गांव, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, पंचकुला, पानीपत, रिवाड़ी, रोहतक, सिस्सा सोनीपत और यमुनानगर। पंचायती राज (ग्रामीण स्वशासन) का विस्तार सभी गांवों तक हो चुका है।
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===शिक्षा एवं जन-कल्याण===
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पंजाब की तरहा हरियाणा में भी विद्यालय और महाविद्यालय, दोनों स्तरों पर शिक्षा को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका के अलावा निजी संस्थानों ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। राज्य के विकास कार्यक्रमों में शिक्षा को उच्च प्राथमिकता दी गई है। कला एवं विज्ञान महाविद्यालयों की संख्या 1966-67 में 40 से बढ़कर 1997-98 में 140 हो गई, इस अवधि में उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालियों की संख्या  597 से 3,517; माध्यमिक बुनियादी पाठशलाएं 735 से 1,718 और प्राथामिकता बुनियादी पाठशालाओं की संख्या 4,447 से 10,134 हो गई। विभिन्न स्तरों के ये संस्थान राज्य के 6,759 गांवों और 94 कस्वों में स्थित हैं। इनके अलावा हरियाणा में अब चार विशविद्यालय है : कुरुक्षेत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, रोहतक में महर्षि दयानंद  विश्वविद्यालय, हिसार में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय और विख्यात पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय सहित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, इसके अलावा, राज्य में डेयरी के सभी उत्पादों के विजास के लिए करनाल में राष्ट्रीय डेयरी शोध संस्थान की स्थापना की गई। शिक्षा के विकास में हरियाणा का स्थान भारत के उत्तरी राज्य पंजाब, मध्य और कुछ पश्चिमी राज्यों में केवल पंजाब के बाद आता है, लेकिन दक्षिणी राज्यों से काफ़ी पीछे रहता है। 1991 तक स्थापिक विभिन्न स्तरों के संस्थानों की संख्या को देखते हुए शिक्षा कार्यक्रमों से लाभान्वित हो रही जनसंख्या का प्रतिशत कम है। 2001 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या का 68.59 प्रतिशत साक्षर है (राष्ट्रीय औसत 65.38 प्रतिशत है)। पिछले दशक में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला साक्षरता के मामले में हरियाणा ने काफ़ी लंबा सफ़र तय किया है (2001 में 56.31 प्रतिशक जबकि 1991 में 32.5 प्रतिशक)। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए (सामान्य तथा तकनीकी) सरकार द्वारा सभी स्तरों पर सहायता दी जाती है। राज्य में विभिन्न नौकरियों और शिक्षा पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति वर्ग के सदस्यों को कृषि, उद्योग, व्यापार और स्वरोज़गारपरक गतिविधियों के लिए ॠण व अनुदान भी उपलब्ध कराती है। उदाहरण के लिए, 1997-98 में इस उद्देश्य से लगभग 24 करोड रुपए खर्च किए गए।
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राज्य में जिला और उपखंड अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थय केंद्रों का संजाल है और 1966 के बाद से इनकी संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है, किंतु इनकी गुणवत्ता अपेक्षित स्तर की नहीं है। उल्लेखनीय है कि 1992 से राज्य से सभी गांवों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
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हरियाणा में लगभग 22,800 किमी लंबी पक्की सड़कें है, राज्य के लगभग सभी गांव पक्की सड़कों से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। सरकारी स्वामित्व वाला हरियाणा राज्य परिवहन स्थानीय और अंतर्राज्यीय यात्री बसें संचालित करता है। इस प्रणाली के अंतर्गत 1997-98 में दैनिक यात्रियों की संख्या 13,86,326 थी।
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===सांस्कृतिक जीवन===
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हरियाणा के सांस्कृतिक जीवन में राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के विभिन्न अवसरों की लय प्रतिबिंबित होती है और इसमें प्राचीन भारत की परंपराओं व लोककथाओं का भंडार है। हरियाणा की एक विशिष्ट बोली है और उसमें स्थानीय मुहावरों का प्रचलन है। स्थानीय लोकगीत और नृत्य अपने आकर्षक अंदाज़ में राज्य के सांस्कृतिक जीवन को प्रदर्शित करतें हैं। ये ओज से भरे हैं और स्थानीय संस्कृति की विनोदप्रियता से जुड़े हैं। वसंत ॠतु में मौजमस्ती से भरे होली के त्योहार में लोग एक-दूसरे पर गुलाल उड़ाकर और गीला रंग डालकर मनाते हैं, इसमें उम्र या सामाजिक हैसियत का कोई भेद नहीं होता। भगवान कृष्ण के जन्मदिन, जन्माष्टमी का हरियाणा में विशिष्ट धार्मिक महत्त्व है, क्योंकि कुरुक्षेत्र ही वह रणभूमि थी, जहां कृष्ण ने योद्धा अर्जुन को भगवद्गीता (महाभारत का एक हिस्सा) का उपदेश दिया था।
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सूर्यग्रहण पर पवित्र स्नान के लिए देश भर से लाखों श्रद्धालु कुरुक्षेत्र आते हैं। अग्रोह (हिसार के निकट) और पेहोवा सहित राज्य में अनेक प्राचीन तीर्थस्थल हैं। अग्रोहा अग्रसेन के रूप में जाना जाता है, जो अग्रवाल समुदाय और उसकी उपजातियों के प्रमुख पूर्वज या प्रवर्तक माने जाते हैं। इसलिए अग्रोहा समूचे अग्रवाल समुदाय की जन्मभूमि है। भारत के व्यापारी वर्गों में प्रमुख यह समुदाय अब देश में फैल गया। अग्रसेन की जन्मभूमि के सम्मानस्वरूप इस समुदाय ने कुछ वर्ष पहले अग्रोहा में एक चिकित्सा विद्यालय की स्थापना की। पवित्र नदी सरस्वती (वेदों के अनुसार ज्ञान और कला की देवी) के किनारे स्थित पेहोवा को पूर्वजों के श्राद्ध पिंडदान के लिए एक महत्त्वपूर्ण पवित्र स्थान माना जाता है। अप्राकृतिक या प्राकृतिक, दोनों तरह की आत्मा की शांति के लिए पेहोवा में धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं। विभिन्न देवताओं और संतों की स्मृति में आयोजित होने वाले मेले हरियाणा की संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। अनेक स्थानों पर पशु मेले भी आयोजित किए जाते हैं। यह क्षेत्र अच्छे नस्ल के दुधारू पशुओं, ख़ासकर भैंसों और खेति के काम में आने वाले पशुओं और संकरित पशुओं के लिए भी जाना जाता है।
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हरियाणा की हवेलियां (पारंपरिक पारिवारिक आवास) वास्तुशिल्प की सुंदरता, ख़ासकर उनके द्वारों की संरचना, के लिए जानी जाती हैं। इन हवेलियों के द्वारों का अभिकल्पन और हस्तकौशल ही विविध नहीं, बल्कि इन पर्व विभिन्न विषयों की श्रृंखला भी विस्मयकारी है। ये हवेलियां हरियाणा की गलियों को मध्ययुगीन स्वरूप और सुंदरता प्रदान करती है। इन भवनों में अनेक चबूतरे होते हैं, जो रिहायशी, सुरक्षा, धार्मिक और अदालती कार्यों के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। इन भवनों से इनके स्वामियों की सामाजिक स्थिति का संकेत मिलता है। इन चबूतरों पर उकेरी हुई कलाकृतियां इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाती है।
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==इतिहास==
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अब हरियाणा के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र (उत्तर वैदिक युग, लगभग 800-500 ई.पू. का मध्यमा देश, यानी मध्य क्षेत्र)- हिंदू धर्म का जन्मस्थल माना जाता है। यह उस क्षेत्र में है, जहां आर्यों का पहला स्तोत्र गाया गया था और सर्वाधिक प्राचीन पांडुलिपियां लिखी गई थीं।
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पश्चिमोत्तर और मध्य एशियाई क्षेत्रों से हुई घुसपैठों के रास्तें में पड़ने वाले हरियाणा को सिकंदर महान (326 ई.पू.) के समय से अनेक सेनाओं के हमलों का सामना करना पड़ा है। यह भारतीय इतिहास की अनेक निर्णायक लड़ाईयों का प्रत्यक्षदर्शी रहा है। इनमें पानीपत की लड़ाइयां, 1526 (जब मुग़ल बादशाह बाबर ने इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव डाली), 1556 (जब अफ़ग़ानी सेना मुग़ल शहंशाह अकबर की सेना से पराजित हुई) और 1761 (जब अहमद शाह अब्दाली ने मरठा सेना को निर्णायक शिकस्त देकर भारत में ब्रिटिश हुकूमत का रास्ता साफ़ कत दिया), 1739 में करनाल की लड़ाई (जब फ़ारस के नदिर शाह ने ध्वस्त होते मुग़ल साम्राज्य को ज़ोरदार शिकस्त दी) शामिल हैं, वर्तमान हरियाणा राज्य में आने वाला क्षेत्र 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था। 1832 में यह तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रांत को हस्तांतरिक कर दिया गया और 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद तक इसकी यही स्थिती बनी रही, हालांकि अलग हरियाणा राज्य की मांग 1907 में भारत की आज़ादी के काफ़ी पहले से ही उठने लगी थी। राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय और आसफ़ अली ने पृथक हरियाणा राज्य का समर्थन किया था। स्वतंत्रता के पूर्व एवं बाद में पंजाब का एक हिस्सा होने के बावजूद इसे विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई इकाई माना जाता था, हालांकि सामाजिक-आर्थिक रूप से यह पिछड़ा क्षेत्र था। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी हरियाणा विकास समिति ने एक स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था। 1960 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पंजाब के पंजाबीभाषी सिक्खों और दक्षिण में हरियाणा क्षेत्र के हिंदीभाषी हिंदुओं द्वारा भाषाई आधार पर राज्यों की स्थापना की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी, लेकिन सिक्खों द्वारा पंजाबीभाषी राज्य की ज़ोरदार मांग के करण ही इस मुद्दे को बल मिला। 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के साथ ही पंजाब के साथ-साथ हरियाणा भी भारत का एक पृथक राज्य बन गया। सामाजिक और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से छोटे से राज्यों के गठन का प्रयोग सफल साबित हुआ है, बशर्ते उन्हें सबल और योग्य नेतृत्व मिले, जैसा कि इन दो राज्यों ने सिद्ध किया है। जनसंख्या (2001) राज्य कुल 2,10,82,989; ग्रामीण 1,49,68,850; शहरी 61,14,139.

११:१८, २८ अप्रैल २०१० का अवतरण

हारमोनियम

पेटी या रीड ऑर्गन भी कहलाता है। मुक्त पत्ती वाला कुंजी-फलक वाद्य, जो हाथ या पैर से संचालित धौंकनी क्र द्वारा दबाव-समकारी वायु भंडार से हवा फेंकता है, जो धातु के खांचों में कसी गई धातु-पत्तियों को कंपन देती है और वाद्य बजता है। इसमें कोई नलिका नहीं होती है और स्वर पत्ती के आकार पर निर्भर करता है। पत्तियों के अलग-अलग समूह भिन्न सुर देते हैं, ध्वनि की गुणवत्ता समूह की प्रत्येक पत्ती के चारों ओर वाले सुर-कक्ष के विशिष्ट आकार एवं आकृति पर निर्भर करती है; उदाहरणस्वरूप, संकुचित कक्ष शक्तिशाली कंपन एवं तीक्ष्म सुर निकालते हैं। सुर की प्रबलता घुटने से संचालित वायु कपाट या सीधे धौंकनी पैडल को रोककर, नियंत्रैत की जाती है, ताकि हवा आधार के बाहर से गुज़रे। वाद्य का विस्तार सामान्यतः चार या पांच सप्तक होता है।

हारमोनियम समूह का सबसे पहला बाजा फ़िसहार्मोनिका था, जिसका निर्माण 1818 में वियना में एंटन हिक्ल ने किया था। इसे चीन के माउथ ऑर्गन या शेंग से प्रेरणा मिली, जिसे 1970 के दशक में रूस लाया गया था, जिसने यूरोप को मुक्त पत्ती से परिचित कराया और कुछ भौतिकशास्त्रियों एवं संगीतज्ञों में रुचि जगाई। अब विलुप्त अन्य क़िस्में (जैसे जॉन ग्रीन का सेराफ़ीइन), 1840 में पेरिस में अलेक्ज़ांद्रे दिबेन द्वारा निर्मित हारमोनियम से पहले अस्तित्व में थीं। 1850 के बाद मुख्य सुधार पेरिस में विक्टर मस्तेल तथा अमेरिका में जेकब एस्टे ने किया।

हारमोनियम लोकप्रिय गिरिजाघर एवं घरेलू वाद्य यंत्र रहा, जब तक कि 1930 के दशक के बाद इलैक्टॉनिक बाजे ने उसे बाज़ार से बाहर नहीं कर दिया। इस वाद्य यंत्र के लिए संगीत रचनाएं तथा बोहेमियाई संगीतज्ञ एंतोनियन द्वोरज़ाक की दो वॉयलिन, चेलो एवं हारमोनियम के लिए चतुर्वाद्य-रचना शामिल हैं।



चित्र:चित्र उदाहरण.jpg

हरियाणा

राज्य, पश्चिमोत्तर भारत। यह पश्चिमोत्तर में पंजाब राज्य और केंद्रशासित प्रदेश चंडिगढ़, उत्तर में हिमाचल प्रदेश, पूर्व में उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और एक छोटा सा हिस्सा उत्तरांचल से और दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान राज्य से धिरा हुआ है। इसका क्षेत्रफल 44,212 वर्ग किमी है। केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ न केवल पंजाब की, बल्कि हरियाणा की भी राजधानी है।

भाषाई आधार पर भूतपूर्व पंजाब प्रांत के दो राज्यों में पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1966 को हरियाणा अस्तित्व में आया। पंजाबीभाषी क्षेत्र पंजाब बन गया और हिंदीभाषी क्षेत्र हरियाणा बन गया। हरियाणा का अर्थ है ‘भगवान का घर’, हरि (विष्णु) और अयन (घर) से मिलकर हरियाणा शब्द बना है।

भौतिक एवं मानव भूगोल

भू-आकृति

हरियाणा में दो बड़े भू-क्षेत्र है, राज्य का एक बडा हिस्सा समतल जलोढ़ मैदानों से युक्त है और पूर्वोत्तर में तीखे ढ़ाल वाली शिवालिया पहाड़ियां तथा संकरा पहाड़ी क्षेत्र है। समुद्र की सतह 210 मीटर से 270 मीटर ऊंचे मैदानी इलाकों से पानी बहकर एकमात्र बारहमासी नदी यमुना में आता है, यह राज्य की पूर्वी सीमा से होकर बहती है।0 शिवालिक पहाड़ियों से निकली अनेक मौसमी नदीयां मैदानी भागों से गुज़रति है। इनमें सबसे प्रमुख घग्घर (राज्य की उत्तरी सीमा के निकट) नदी है। ऐसा माना जाता है कि कभी यह नदी सिंधु नदी में मिलती थी, जो अब पाकिस्तान में है। इस नदी के निचले क्षेत्र में आर्य-पूर्व सभ्यता के अवशेस मिलते हैं।इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुड़गांव ज़िलों में दक्षिण से उत्तर की ओर दिल्ली तक विस्तृत अरावली पर्वत श्रृंखला के भी अवशेष मिलते हैं।

हरियाणा के अधिकांश क्षेत्र में शुष्क और अर्द्ध शुष्क परिस्थितियां हैं। केवल पुर्वोतर में थोड़ी आर्द्रता पाईन जाती है। यद्यपि राज्य में नहर सिंचाई प्रणाली और बड़े पैमाने पर नलकूप हैं। इसके बावजूद यहां कुछ अत्यधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र हैं, ख़ासकर दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में, तथापि यमुना व घग्घर नदी की सहायक नदीयों में कभी-कभी बाढ़ भी जाती है। गर्मियों में ख़ुब गर्मी पड़ती है और सर्दियों में खूब सर्दी। गर्मियों में (मई-जून) अधिकतम तापमान 46 डिग्री से। तक पहुंच जाता है। जनवरी में कभी-कभी न्युनतम तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है। राज्य के हिसार शहर में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है।

पूर्वोतर में पहाड़ के तलहटी वाले क्षेत्र को छोड़कर पूरे राज्य में मिट्टी गहरी व उर्वर है और दक्षिण-प्श्चिम में राजस्थान के मरुस्थल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में ज़मीन रेतीलि है। राज्य के कुल क्षेत्र के 4/5 भाग में खेती होती है और इसमें से लगभग तीन-चौथाई क्षेत्र सिंचित है। यद्यपि राज्य के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भागों में सिंचाई नलकूपों के ज़रिये होती है, वहीं दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में अधिकांश सिंचाई नहर के ज़रिये होती है। राज्य में वन क्षेत्र नगण्य हैं। राजमार्गों के किनारे और ऊसर ज़मीनों पर यूकलिप्टस के पेड़ उगाए गए हैं। राज्य के उत्तरी भागों में सड़क किनारे आमतौर पर शीशम (डालबर्गिया सिस्सू) के पेड़ पाए जाते हैं, जबकी दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा में कीकर (अकेशिया अरेबिका) के पेड़ व झाड़ियां आमतौर पर मिलती हैं।

जनजीवन

2001 में हरियाणा की कुल जनसंख्या 2,10,82,989 का लगभग 90 प्रतिशक हिंदू (इनमें 1/5 अनुसूचित जाति) और शेष सिक्ख, मुसलमान व अन्य जातियों के हैं। सिक्खों की अधिकांश आवादी पुर्वोत्तर व पश्चिमोत्तर में और मुसलमानों की आबादी दिल्ली के आसपास दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में संकेंद्रित है। हिंदू जाट (एक कृषक जाति) हरियाणा की कृषि अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं और पंजाब के सिक्खों की तरह भारत की सशस्त्र सेनाओं में इनका प्रमुख स्थान है। यद्यपि राज्य के 75 प्रतिशक आबादी गांवों मे/न रहती हैं, किंतु औद्योगिक, व्यापारिक और कृषि विपणन केंद्रों के रूप में शहर भी तेज़ी से उभर रहे हैं। एक लाख या उससे अधिल आबादी वाले शहर में फ़रीदाबाद संकुल, यमुना नगर, रोहतक, पानीपत, हिसार, करनाल, सोनीपत, अंबाला (शहर और छावनी), गुड़गांव, भिवानी और सिस्सा शामिल है।

अर्थव्यवस्था

कृषि की दृष्टि से हरियाणा एक समृद्ध राज्य है और यह केंद्रीय भंडार (अतिरिक्त खाद्यान्न की राष्ट्रीय संग्रहण प्रणाली) में बड़ी मात्रा में गेहूं और चावल देता है। कपास, राई, सरसों, बाजरा, चना, गन्ना, ज्वार, मक्का और आलू अन्य प्रमुख फ़सलें हैं, राज्य की कृषि प्रधानता ने हरित क्रांति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके अंतर्गत सिंचाई उर्वरक और उच्च गुणवत्ता के बिजों में बड़े पैमाने पर निवेश शामिल है। हरियाणा के कुल श्रम बल का लगभग 58 प्रतिशत कृषि में संलग्न है।

हरियाणा ने कृषि आधारित और निर्माण उद्योगों में उल्लेखनीय प्रगति की है। इनमें प्रमुख हैं, कपास और चीनी प्रसंस्करण, कृषि उपकरण, रसायन और अनेक प्रकार की उपभोक्ता वस्तुएं, जिनमें साइकिल उल्लेखनीय है। प्रमुख राजमार्ग और रेलवे लाइनें हरियाणा से होकर गुज़रती हैं और दिल्ली से मिलती हैं, इस वजह से यह प्रदेश औद्योगिक और वाणिज्यक विकास का गलियारा बन गया है, ख़ासकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से जुड़े राज्य के हिस्सों के लिए। यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य में कुछ औद्योगिक निवेश पंजाबी उद्यमियों ने किया है, जिसका मानना है कि पंजाब के बजाय हरियाणा में निवेश करना अधिक सुरक्षित और लाभदायक है (क्योंकि दिल्ली के बाज़ार से यह नज़दीक है)।

प्रशासन एवं सामाजिक विशेषताएं

प्रशासन

भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन के लिए उसे मंत्रिपरिषद से सहायता और सलाह मिलती है, जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होता है। मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति जवाबदेह होती है।

विधानसभा का चुनाव सामान्यतः पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए होते है। हरियाणा और पंजाब के लिए एक उच्च न्यायालय है। राज्य 19 ज़िलों में बंटा हुआ है : अंबाला, भिवानी, फ़रीदाबाद, फ़तेहाबाद , गुड़गांव, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, पंचकुला, पानीपत, रिवाड़ी, रोहतक, सिस्सा सोनीपत और यमुनानगर। पंचायती राज (ग्रामीण स्वशासन) का विस्तार सभी गांवों तक हो चुका है।

शिक्षा एवं जन-कल्याण

पंजाब की तरहा हरियाणा में भी विद्यालय और महाविद्यालय, दोनों स्तरों पर शिक्षा को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका के अलावा निजी संस्थानों ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। राज्य के विकास कार्यक्रमों में शिक्षा को उच्च प्राथमिकता दी गई है। कला एवं विज्ञान महाविद्यालयों की संख्या 1966-67 में 40 से बढ़कर 1997-98 में 140 हो गई, इस अवधि में उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालियों की संख्या 597 से 3,517; माध्यमिक बुनियादी पाठशलाएं 735 से 1,718 और प्राथामिकता बुनियादी पाठशालाओं की संख्या 4,447 से 10,134 हो गई। विभिन्न स्तरों के ये संस्थान राज्य के 6,759 गांवों और 94 कस्वों में स्थित हैं। इनके अलावा हरियाणा में अब चार विशविद्यालय है : कुरुक्षेत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, हिसार में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय और विख्यात पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय सहित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, इसके अलावा, राज्य में डेयरी के सभी उत्पादों के विजास के लिए करनाल में राष्ट्रीय डेयरी शोध संस्थान की स्थापना की गई। शिक्षा के विकास में हरियाणा का स्थान भारत के उत्तरी राज्य पंजाब, मध्य और कुछ पश्चिमी राज्यों में केवल पंजाब के बाद आता है, लेकिन दक्षिणी राज्यों से काफ़ी पीछे रहता है। 1991 तक स्थापिक विभिन्न स्तरों के संस्थानों की संख्या को देखते हुए शिक्षा कार्यक्रमों से लाभान्वित हो रही जनसंख्या का प्रतिशत कम है। 2001 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या का 68.59 प्रतिशत साक्षर है (राष्ट्रीय औसत 65.38 प्रतिशत है)। पिछले दशक में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला साक्षरता के मामले में हरियाणा ने काफ़ी लंबा सफ़र तय किया है (2001 में 56.31 प्रतिशक जबकि 1991 में 32.5 प्रतिशक)। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए (सामान्य तथा तकनीकी) सरकार द्वारा सभी स्तरों पर सहायता दी जाती है। राज्य में विभिन्न नौकरियों और शिक्षा पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति वर्ग के सदस्यों को कृषि, उद्योग, व्यापार और स्वरोज़गारपरक गतिविधियों के लिए ॠण व अनुदान भी उपलब्ध कराती है। उदाहरण के लिए, 1997-98 में इस उद्देश्य से लगभग 24 करोड रुपए खर्च किए गए।

राज्य में जिला और उपखंड अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थय केंद्रों का संजाल है और 1966 के बाद से इनकी संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है, किंतु इनकी गुणवत्ता अपेक्षित स्तर की नहीं है। उल्लेखनीय है कि 1992 से राज्य से सभी गांवों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।

हरियाणा में लगभग 22,800 किमी लंबी पक्की सड़कें है, राज्य के लगभग सभी गांव पक्की सड़कों से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। सरकारी स्वामित्व वाला हरियाणा राज्य परिवहन स्थानीय और अंतर्राज्यीय यात्री बसें संचालित करता है। इस प्रणाली के अंतर्गत 1997-98 में दैनिक यात्रियों की संख्या 13,86,326 थी।

सांस्कृतिक जीवन

हरियाणा के सांस्कृतिक जीवन में राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के विभिन्न अवसरों की लय प्रतिबिंबित होती है और इसमें प्राचीन भारत की परंपराओं व लोककथाओं का भंडार है। हरियाणा की एक विशिष्ट बोली है और उसमें स्थानीय मुहावरों का प्रचलन है। स्थानीय लोकगीत और नृत्य अपने आकर्षक अंदाज़ में राज्य के सांस्कृतिक जीवन को प्रदर्शित करतें हैं। ये ओज से भरे हैं और स्थानीय संस्कृति की विनोदप्रियता से जुड़े हैं। वसंत ॠतु में मौजमस्ती से भरे होली के त्योहार में लोग एक-दूसरे पर गुलाल उड़ाकर और गीला रंग डालकर मनाते हैं, इसमें उम्र या सामाजिक हैसियत का कोई भेद नहीं होता। भगवान कृष्ण के जन्मदिन, जन्माष्टमी का हरियाणा में विशिष्ट धार्मिक महत्त्व है, क्योंकि कुरुक्षेत्र ही वह रणभूमि थी, जहां कृष्ण ने योद्धा अर्जुन को भगवद्गीता (महाभारत का एक हिस्सा) का उपदेश दिया था।

सूर्यग्रहण पर पवित्र स्नान के लिए देश भर से लाखों श्रद्धालु कुरुक्षेत्र आते हैं। अग्रोह (हिसार के निकट) और पेहोवा सहित राज्य में अनेक प्राचीन तीर्थस्थल हैं। अग्रोहा अग्रसेन के रूप में जाना जाता है, जो अग्रवाल समुदाय और उसकी उपजातियों के प्रमुख पूर्वज या प्रवर्तक माने जाते हैं। इसलिए अग्रोहा समूचे अग्रवाल समुदाय की जन्मभूमि है। भारत के व्यापारी वर्गों में प्रमुख यह समुदाय अब देश में फैल गया। अग्रसेन की जन्मभूमि के सम्मानस्वरूप इस समुदाय ने कुछ वर्ष पहले अग्रोहा में एक चिकित्सा विद्यालय की स्थापना की। पवित्र नदी सरस्वती (वेदों के अनुसार ज्ञान और कला की देवी) के किनारे स्थित पेहोवा को पूर्वजों के श्राद्ध पिंडदान के लिए एक महत्त्वपूर्ण पवित्र स्थान माना जाता है। अप्राकृतिक या प्राकृतिक, दोनों तरह की आत्मा की शांति के लिए पेहोवा में धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं। विभिन्न देवताओं और संतों की स्मृति में आयोजित होने वाले मेले हरियाणा की संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। अनेक स्थानों पर पशु मेले भी आयोजित किए जाते हैं। यह क्षेत्र अच्छे नस्ल के दुधारू पशुओं, ख़ासकर भैंसों और खेति के काम में आने वाले पशुओं और संकरित पशुओं के लिए भी जाना जाता है।

हरियाणा की हवेलियां (पारंपरिक पारिवारिक आवास) वास्तुशिल्प की सुंदरता, ख़ासकर उनके द्वारों की संरचना, के लिए जानी जाती हैं। इन हवेलियों के द्वारों का अभिकल्पन और हस्तकौशल ही विविध नहीं, बल्कि इन पर्व विभिन्न विषयों की श्रृंखला भी विस्मयकारी है। ये हवेलियां हरियाणा की गलियों को मध्ययुगीन स्वरूप और सुंदरता प्रदान करती है। इन भवनों में अनेक चबूतरे होते हैं, जो रिहायशी, सुरक्षा, धार्मिक और अदालती कार्यों के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। इन भवनों से इनके स्वामियों की सामाजिक स्थिति का संकेत मिलता है। इन चबूतरों पर उकेरी हुई कलाकृतियां इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाती है।

इतिहास

अब हरियाणा के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र (उत्तर वैदिक युग, लगभग 800-500 ई.पू. का मध्यमा देश, यानी मध्य क्षेत्र)- हिंदू धर्म का जन्मस्थल माना जाता है। यह उस क्षेत्र में है, जहां आर्यों का पहला स्तोत्र गाया गया था और सर्वाधिक प्राचीन पांडुलिपियां लिखी गई थीं।

पश्चिमोत्तर और मध्य एशियाई क्षेत्रों से हुई घुसपैठों के रास्तें में पड़ने वाले हरियाणा को सिकंदर महान (326 ई.पू.) के समय से अनेक सेनाओं के हमलों का सामना करना पड़ा है। यह भारतीय इतिहास की अनेक निर्णायक लड़ाईयों का प्रत्यक्षदर्शी रहा है। इनमें पानीपत की लड़ाइयां, 1526 (जब मुग़ल बादशाह बाबर ने इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव डाली), 1556 (जब अफ़ग़ानी सेना मुग़ल शहंशाह अकबर की सेना से पराजित हुई) और 1761 (जब अहमद शाह अब्दाली ने मरठा सेना को निर्णायक शिकस्त देकर भारत में ब्रिटिश हुकूमत का रास्ता साफ़ कत दिया), 1739 में करनाल की लड़ाई (जब फ़ारस के नदिर शाह ने ध्वस्त होते मुग़ल साम्राज्य को ज़ोरदार शिकस्त दी) शामिल हैं, वर्तमान हरियाणा राज्य में आने वाला क्षेत्र 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था। 1832 में यह तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रांत को हस्तांतरिक कर दिया गया और 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद तक इसकी यही स्थिती बनी रही, हालांकि अलग हरियाणा राज्य की मांग 1907 में भारत की आज़ादी के काफ़ी पहले से ही उठने लगी थी। राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय और आसफ़ अली ने पृथक हरियाणा राज्य का समर्थन किया था। स्वतंत्रता के पूर्व एवं बाद में पंजाब का एक हिस्सा होने के बावजूद इसे विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई इकाई माना जाता था, हालांकि सामाजिक-आर्थिक रूप से यह पिछड़ा क्षेत्र था। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी हरियाणा विकास समिति ने एक स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था। 1960 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पंजाब के पंजाबीभाषी सिक्खों और दक्षिण में हरियाणा क्षेत्र के हिंदीभाषी हिंदुओं द्वारा भाषाई आधार पर राज्यों की स्थापना की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी, लेकिन सिक्खों द्वारा पंजाबीभाषी राज्य की ज़ोरदार मांग के करण ही इस मुद्दे को बल मिला। 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के साथ ही पंजाब के साथ-साथ हरियाणा भी भारत का एक पृथक राज्य बन गया। सामाजिक और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से छोटे से राज्यों के गठन का प्रयोग सफल साबित हुआ है, बशर्ते उन्हें सबल और योग्य नेतृत्व मिले, जैसा कि इन दो राज्यों ने सिद्ध किया है। जनसंख्या (2001) राज्य कुल 2,10,82,989; ग्रामीण 1,49,68,850; शहरी 61,14,139.