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०५:४३, ६ फ़रवरी २०१० का अवतरण

साहित्य…कुछ लेख

रसखान की समाधि, महावन

<sort2 type="inline" separator="&sp;|&sp;"> अमीर ख़ुसरो रसखान ब्रजभाषा अंगुत्तरनिकाय अश्वघोष कालिदास बिहारी हितहरिवंश वैष्णवन की वार्ता </sort2>


गोरी सोवे सेज पर
मुख पर डारे केस।
चल ख़ुसरो घर आपने
सांझ भई चहुं देस।।
-अमीर ख़ुसरो