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*यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । '''- श्रीमद्भागवत गीता'''  
 
*यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । '''- श्रीमद्भागवत गीता'''  
 
*इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। '''-विनोबा भावे'''
 
*इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। '''-विनोबा भावे'''
*जीवन का कार्यक्रम है रचनात्मक, विनाशात्मक नहीं;<br /> मनुष्य का कर्तव्य है अनुराग, विराग नहीं। '''-भगवतीचरण वर्मा'''       
 
 
*ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - '''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''
 
*ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - '''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''
*शब्द खतरनाक वस्तु हैं । सर्वाधिक खतरे की बात तो यह है कि वे हमसे यह कल्पना करा लेते हैं कि हम बातों को समझते हैं जबकि वास्तव में हम नहीं समझते ।  - '''चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य'''<br />
 
*Give accordings to your means, or God will make your means according to your giving.- '''John Hall'''<br> अपने साधनों के अनुरूप दान करो अन्यथा ईश्वर तुम्हारे दान के अनुरूप तुम्हारे साधन बना देगा। - '''जॉन हाल'''<br />
 
*पृथ्वी में कुआं जितना ही गहरा खुदेगा, उतना ही अधिक जल निकलेगा । वैसे ही मानव की जितनी अधिक शिक्षा होगी, उतनी ही तीव्र बुद्धि बनेगी । - '''तिरुवल्लुवर''' (तिरुक्कुरल, 396)<br />
 
 
*मैं नहीं चाहता कि मेरे लिए कोई स्मारक बनवाया जाये, या मेरी प्रतिमा खड़ी की जाये। मेरी कामना केवल यही है कि लोग देश से प्रेम करते रहें और आवश्यकता पड़ने पर उसके लिए प्राण भी न्यौछावर कर दें। - '''गोपालकृष्ण गोखले'''<br />
 
*मैं नहीं चाहता कि मेरे लिए कोई स्मारक बनवाया जाये, या मेरी प्रतिमा खड़ी की जाये। मेरी कामना केवल यही है कि लोग देश से प्रेम करते रहें और आवश्यकता पड़ने पर उसके लिए प्राण भी न्यौछावर कर दें। - '''गोपालकृष्ण गोखले'''<br />
 
*राष्ट्रीयता भी सत्य है और मानव जाति की एकता भी सत्य है । इन दोनों सत्यों के सामंजस्य में ही मानव जाति का कल्याण है । - '''अरविन्द (कर्मयोगी''')<br />
 
*राष्ट्रीयता भी सत्य है और मानव जाति की एकता भी सत्य है । इन दोनों सत्यों के सामंजस्य में ही मानव जाति का कल्याण है । - '''अरविन्द (कर्मयोगी''')<br />
 
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११:४४, १ अप्रैल २०१० का अवतरण

सूक्ति और विचार

कृष्ण अर्जुन को ज्ञान देते हुए
  • जब तक जीना, तब तक सीखना - अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। -स्वामी विवेकानन्द
  • यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । - श्रीमद्भागवत गीता
  • इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। -विनोबा भावे
  • ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - हजारीप्रसाद द्विवेदी
  • मैं नहीं चाहता कि मेरे लिए कोई स्मारक बनवाया जाये, या मेरी प्रतिमा खड़ी की जाये। मेरी कामना केवल यही है कि लोग देश से प्रेम करते रहें और आवश्यकता पड़ने पर उसके लिए प्राण भी न्यौछावर कर दें। - गोपालकृष्ण गोखले
  • राष्ट्रीयता भी सत्य है और मानव जाति की एकता भी सत्य है । इन दोनों सत्यों के सामंजस्य में ही मानव जाति का कल्याण है । - अरविन्द (कर्मयोगी)

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