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*सांख्यकारिका की एक अर्वाचीन व्याख्या है जिसके व्याख्याकार नारायणतीर्थ हैं।  
 
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*नारायणतीर्थ सत्रहवीं शती के हैं।  
 
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*इन्हें अन्य भारतीय दर्शनों का भी अच्छा ज्ञान था।  
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*इन्हें अन्य [[दर्शन शास्त्र|भारतीय दर्शनों]] का भी अच्छा ज्ञान था।  
 
*सांख्य-चंद्रिका ही संभवत: एक मात्र व्याख्या है जिसमें छठी कारिका में 'सामान्यतस्तु दृष्टात' का अर्थ सामान्यतोदृष्ट अनुमान न लेकर 'सामान्यत: तु दृष्टात्' अर्थ में ही स्वीकार किया।  
 
*सांख्य-चंद्रिका ही संभवत: एक मात्र व्याख्या है जिसमें छठी कारिका में 'सामान्यतस्तु दृष्टात' का अर्थ सामान्यतोदृष्ट अनुमान न लेकर 'सामान्यत: तु दृष्टात्' अर्थ में ही स्वीकार किया।  
  

०४:१९, १९ मई २०१० का अवतरण

सांख्य चन्द्रिका

  • सांख्यकारिका की एक अर्वाचीन व्याख्या है जिसके व्याख्याकार नारायणतीर्थ हैं।
  • नारायणतीर्थ सत्रहवीं शती के हैं।
  • इन्हें अन्य भारतीय दर्शनों का भी अच्छा ज्ञान था।
  • सांख्य-चंद्रिका ही संभवत: एक मात्र व्याख्या है जिसमें छठी कारिका में 'सामान्यतस्तु दृष्टात' का अर्थ सामान्यतोदृष्ट अनुमान न लेकर 'सामान्यत: तु दृष्टात्' अर्थ में ही स्वीकार किया।