स्वतंत्रता संग्राम 1857-( 5 )

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प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम - 1857

फतहपुरसीकरी क्रान्तिकारियों के अधीन

मूर का 25 अक्टूबर 1857 ई0 का शेरर को पत्र आज मुझे आपको अधिक नहीं लिखना सिवाय इस स्थानीय समाचार के कि कप्तान टेलर के अधीन मुजीब आ गये हैं । और विद्रोहियों के विरूद्ध जिन्होंने फतहपुरसीकरी को हथिया रखा है, हमारा अभियान मंगलवार दिनांक 27 अक्टूबर को आरम्भ होगा । धौलपुर विद्रोही फतहपुरसीकरी में

आगरा फोर्ट से पूर्वोत्तर प्रान्त के चीफ कमिश्नर और गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया के एच. फ्रेजर का पत्र-

आगरा फोर्ट, 31 अक्टूबर 1857 ई0 ।

27 अक्टूबर

कैप्टेन टेलर के सैवर्स, जिसका बड़ा भाग अनुशासनहीन है, यहाँ 25 अक्टूबर को आ लगे हैं और कर्नल कॉटन के मजबूत कमांड में एक मजबूत टुकड़ी कम्पनी फतहपुरसीकरी में एकत्र बताये गये विद्रोहियों को तितर बितर करने को भेज दी गई है । वहाँ से वह फरह को ओर फिर मथुरा को और तत्पश्चात अलीगढ़ रोड पर सादाबाद को कूच करेगा । किन्तु उसे आगरा से मामूली दूरी पर ही रखा जायगा जब तक कि कोई विद्रोही गंगा पार करें । उस स्थिति में मैं उसे अलीगढ गैरीजन के साथ संयुक्त होने को कहूँगा ताकि किसी भी दुश्मन से निबटा जा सके । क्योंकि उसके पास जो छै तोपें हैं, उनसे मैं किसी दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम की शंका नहीं करता । गवालियर विद्रोही सिन्ध नदी को स्योंदा पर पारकर चुके बताये जाते हैं जो कालपीरूट पर हैं । किन्तु वे पुन: जमुना को पार करने का साहस करेगे, इसमें मुझे बहुत शक है ।

फतहपुरसीकरी पर मुठभेड़

मूर से सेक्रट्री गवर्नमेंट ऑफ इंडिया को तार समाचार-

29 अक्टूबर 1857 ई0 ।

फतहपुरसीकरी में हमारा अभियान सफल होने से अधिक संख्यक विद्रोही भाग खड़े हुए हैं । किन्तु कुछ विद्रोही ऊँची इमारत पर अधिकार किये हुए हैं और निराशा में घनघोर मुकाबला कर रहे हैं । सत्रह मारे गये हैं । हमारी ओर से भी कुछ घायल हुए हैं । लेफ्टिनेंट ग्लब के दोनों पैर घायल हुए हैं । शॉवर्स के दस्ते सोनाह पर मेवातियों को दंडित करके बल्लभगढ़ की ओर कूच करेंगे । दोपा जिले में विद्रोही अभी नहीं कुचला जा सका है । शेष पूर्वोत्तर शान्त है ।

आगरा में विद्रोहियों की सजा

15 जनवरी सन् 1857 ई0 । कोर्ट मार्शल से 62 को(4 गोलियों से उड़ा दिये गये और 2 को जेल की सजा दी गई ।) और स्पेशल कमिश्नर ने 16 को सजा दी इनमें 42 मुसलमान, 36 हिन्दू, सत्रह विद्रोही थे । छै मुसलमान और सात हिन्दू कुल 13, 5 जुलाई के दंगों में शामिल थे । 26 मुसलमान और 22 हिन्दू कुल 48 पर विश्वासघात के मुकदमे चलाये गये ।

बादशाह का फरमान

बिना हस्ताक्षर के बादशाह ने 11 अगस्त 1857 ई0 को उन सभी हिन्दूओं और मुसलमानों के नाम एक आदेश जारी किया, जो धर्म का उत्थान चाहते थे । आप सभी को यह मालूम हो कि फलकुद्दीन शाह उनमें से एक है, जो मुहम्मद व धर्म के लिये अधर्मियों के खिलाफ धर्मयुद्ध लड़ने को कृतसंकल्प हैं । वित्त और सेना का निदेशक होने के नाते गाजियों और धनसंग्रह के लिये यह आदेश है । इससे खुदा को दी हुई फौजों का व्यय वहन किया जायगा जो देश के हर हिस्से से हर दिशा से शाही इमारत पर ईसाइयों के नाश के लिये आई और यहीं एकत्र है और जिसने हजारों ब्रिटिश सिपाहियों को और दूसरे अंग्रेजों को दोजख में भेज रखा है । आप स्वयं के ऊपर यह वजन है कि अपने फायदे को अच्छी तरह सोचों विचारों और शाही खजाने में उतना धन भेजो जो निर्धारित किया जाय । साथ ही अपने विश्वस्त प्रतिनिधियों को भी भेजो । इसके आलावा ऊपर लिखे फलकुद्दीन शाह को ईसाइयों के बध के लिये हर ऐसी इमदाद और फौजी बल भी भेजो, जिसे वह माँगे । जो धर्म और ईमान के लिये हमारे हाथ मजबूत करेंगे, उनको सम्मान दिया जायगा और जो ईसाइयों के साथ विश्वास में रहेंगे वे जिन्दगी और मिल्कियत से हाथ धो बैठेंगे ।

सूची

छतारी का सरदार सात तोपें और पचास हजार रूपये । पड़ावा का सरदार दस हजार रूपये । धर्मपुर का सरदार पाँच हजार रूपये । दानपुर का पाँच हजार रूपये । पहसू का पाँच हजार रूपये । सादाबाद का पाँच हजार रूपये । दतावली को दो हजार रूपये । बेगमपुर का सरदार दस हजार रूपये । बदायूँ का दस हजार रूपये । जारऊ का पाँच हजार रूपये । मथुरा के व्यापारी पचास हजार रूपये देंगे । बल्लभगढ़ का राजा एक लाख रूपये दे और भरतपुर का राजा पाँच लाख रूपये दे । इस तरह कुल बारह लाख पैंतालीस हजार रूपये हुए ।