हनुमान जी की आरती

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Asha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०७:१९, २२ नवम्बर २००९ का अवतरण (नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> ==आरती हनुमान जी== आरती कीजै हनुमान लला की ।<br /> दुष्ट दलन रघुन...)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ


आरती हनुमान जी

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरिवर काँपे,
रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी,
संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये,
लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।

लंका जारि असुर संघारे,
सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,
आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

पैठि पाताल तोड़ि यम कारे,
अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे,
दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।

सुर नर मुनि जन आरति उतारे,
जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई,
आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

जो हनुमान जी की आरति गावे,
बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥