"हनुमान बजरंग बाण" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> ==बजरंग बाण== '''।। दोहा ।।''' निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें ...) |
|||
पंक्ति ५: | पंक्ति ५: | ||
− | निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान | + | निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ।<br /> |
− | तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान | + | तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।<br /> |
− | जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी | + | जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।<br /> |
− | जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै | + | जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।<br /> |
− | जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा । सुरसा बद पैठि विस्तारा | + | जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा । सुरसा बद पैठि विस्तारा ।।<br /> |
− | आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका | + | आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।<br /> |
− | जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा | + | जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।<br /> |
− | बाग उजारी सिन्धु महं बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा | + | बाग उजारी सिन्धु महं बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ।।<br /> |
− | अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा | + | अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा ।।<br /> |
− | लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर मे भई | + | लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर मे भई ।।<br /> |
− | अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उन अन्तर्यामी | + | अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उन अन्तर्यामी ।।<br /> |
− | जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता | + | जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।<br /> |
− | जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर | + | जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ।।<br /> |
− | जय हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले | + | जय हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।<br /> |
− | गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो | + | गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ।।<br /> |
− | ऊँ कार हुंकार महाप्रभु धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो | + | ऊँ कार हुंकार महाप्रभु धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।<br /> |
− | ऊँ हीं हीं हनुमन्त कपीसा । ऊँ हुं हुं हनु अरि उर शीशा | + | ऊँ हीं हीं हनुमन्त कपीसा । ऊँ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।<br /> |
− | सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु जाय के | + | सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु जाय के ।।<br /> |
− | जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा | + | जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।<br /> |
− | पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा | + | पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।<br /> |
− | वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं | + | वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।<br /> |
− | पांय परों कर जोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं | + | पांय परों कर जोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।<br /> |
− | जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमन्ता | + | जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।<br /> |
− | बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक | + | बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ।।<br /> |
− | भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर | + | भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ।।<br /> |
− | इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की | + | इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ।।<br /> |
− | जनकसुता हरि दास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो | + | जनकसुता हरि दास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।<br /> |
− | जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा | + | जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।<br /> |
− | चरण शरण कर जोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गौहरावौं | + | चरण शरण कर जोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ।।<br /> |
− | उठु उठु उठु चलु राम दुहाई । पांय परों कर जोरि मनाई | + | उठु उठु उठु चलु राम दुहाई । पांय परों कर जोरि मनाई ।।<br /> |
− | ऊं चं चं चं चपल चलंता । ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता | + | ऊं चं चं चं चपल चलंता । ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।<br /> |
− | ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल । ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल | + | ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल । ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।<br /> |
− | अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो | + | अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।<br /> |
− | यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै | + | यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।<br /> |
− | पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्राम की | + | पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्राम की ।।<br /> |
− | यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै | + | यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।<br /> |
− | धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा | + | धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।<br /> |
'''।। दोहा ।।''' | '''।। दोहा ।।''' | ||
− | प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान | + | प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ।<br /> |
− | तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान | + | तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।<br /> |
१३:१२, २२ नवम्बर २००९ का अवतरण
बजरंग बाण
।। दोहा ।।
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।
जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा । सुरसा बद पैठि विस्तारा ।।
आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।
बाग उजारी सिन्धु महं बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ।।
अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर मे भई ।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उन अन्तर्यामी ।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ।।
जय हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ऊँ कार हुंकार महाप्रभु धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।
ऊँ हीं हीं हनुमन्त कपीसा । ऊँ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु जाय के ।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पांय परों कर जोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।
बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ।।
जनकसुता हरि दास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।
चरण शरण कर जोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ।।
उठु उठु उठु चलु राम दुहाई । पांय परों कर जोरि मनाई ।।
ऊं चं चं चं चपल चलंता । ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।
ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल । ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।
अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।
पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्राम की ।।
यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।
।। दोहा ।।
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।