हस्तिनापुर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Asha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:३९, ११ दिसम्बर २००९ का अवतरण
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ


हस्तिनापुर / Hastinapur

महाभारत से जुड़ी सारी घटनाएं हस्तिनापुर में ही हुई थीं । अभी भी यहां महाभारत काल से जुड़े कुछ अवशेष मौजूद हैं । इनमें कौरवों-पांडवों के महलों और मंदिरों के अवशेष प्रमुख हैं । इसके अलावा हस्तिनापुर को चक्रवर्ती सम्राट भरत की भी राजधानी माना जाता है । यहां स्थित पांडेश्वर महादेव मंदिर की काफी मान्यता है । कहा जाता है यह वही मंदिर है, जहां पांडवों की रानी द्रौपदी पूजा के लिए जाया करती थी ।

प्रमुख जैन तीर्थ

जैन समुदाय के बीच हस्तिनापुर को एक प्रमुख तीर्थ माना जाता है । यहां जैन धर्म के कई तीर्थंकरों का जन्म हुआ था । यही वजह है कि यहां काफी संख्या में जैन मंदिर मौजूद हैं । इनमें क़रीब 200 साल पुराना बड़ा मंदिर, जंबूद्वीप, कैलाश पर्वत, अष्टापद जी, कमल मंदिर और ध्यान मंदिर मुख्य हैं । प्राचीन बड़ा मंदिर में हस्तिनापुर की नहर की खुदाई के दौरान प्राप्त हुई जिन प्रतिमाओं को देखा जा सकता है । इन मंदिरों को काफी सुंदर और कलात्मक तरीके से बनाया गया है ।

सिखों का पवित्र स्थान 

हस्तिनापुर पहला ऐसा तीर्थस्थान है, जो हिंदू और जैनों के साथ सिखों का भी पवित्र तीर्थ है । हस्तिनापुर के पास ही स्थित सैफपुर सिख धर्म के पंच प्यारों में से एक भाई धर्मदास की जन्मस्थली है । देश भर के श्रद्धालु यहां स्थित पवित्र सरोवर में डुबकी लगाने के लिए आते रहते हैं ।

मेले

हस्तिनापुर में साल में कई छोटे-बड़े मेले लगते हैं । इनमें अक्षय तृतीया, होली और 2 अक्टूबर का मेला प्रमुख है । अक्षय तृतीया को देश भर से श्रद्धालु यहां भगवान को गन्ने के रस का आहार कराने के लिए आते हैं । अगर आपको होली के रंग पसंद नहीं आते, तो हस्तिनापुर आपके लिए इनसे बचने की एक बेहतरीन जगह साबित हो सकता है । दुल्हैंडी वाले दिन यहां लगने वाले मेले में देश भर से होली नहीं खेलने वाले लोग आते हैं । साथ ही 2 अक्टूबर को लगने वाले मेले में भी काफी भीड़ उमड़ती है ।