"हिजरी संवत" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{menu}} | {{menu}} | ||
− | [[शुक्रवार]], | + | [[शुक्रवार]], 16 जुलाई, 622 को हिजरी संवत का प्रारम्भ हुआ, क्योंकि उसी दिन [[हज़रत मुहम्मद]] साहब [[मक्का (अरब)|मक्का]] के पुरोहितों एवं सत्ताधारी वर्ग के दबावों के कारण मक्का छोड़कर [[मदीना]] की ओर कूच कर गये थे। ख़लीफ़ा उमर की आज्ञा से प्रारम्भ हिजरी संवत में 12 चन्द्र [[मास]] होते हैं। जिसमें 29 और 30 दिन के मास एक-दूसरे के बाद पड़ते हैं। वर्ष में 354 दिन होते हैं, फलतः यह सौर [[संवत]] के वर्ष से 11 दिन छोटा हो जाता है। इस अन्तर को पूरा करने के लिए 30 वर्ष बाद ज़िलाहिज़ा महीने में कुछ दिन जोड़ दिये जाते हैं। हिजरी संवत के महीनों के नाम इस प्रकार हैं— |
#[[मोहर्रम]]-उल-हराम | #[[मोहर्रम]]-उल-हराम | ||
#सफ़र | #सफ़र |
१०:३८, १२ नवम्बर २०११ का अवतरण
शुक्रवार, 16 जुलाई, 622 को हिजरी संवत का प्रारम्भ हुआ, क्योंकि उसी दिन हज़रत मुहम्मद साहब मक्का के पुरोहितों एवं सत्ताधारी वर्ग के दबावों के कारण मक्का छोड़कर मदीना की ओर कूच कर गये थे। ख़लीफ़ा उमर की आज्ञा से प्रारम्भ हिजरी संवत में 12 चन्द्र मास होते हैं। जिसमें 29 और 30 दिन के मास एक-दूसरे के बाद पड़ते हैं। वर्ष में 354 दिन होते हैं, फलतः यह सौर संवत के वर्ष से 11 दिन छोटा हो जाता है। इस अन्तर को पूरा करने के लिए 30 वर्ष बाद ज़िलाहिज़ा महीने में कुछ दिन जोड़ दिये जाते हैं। हिजरी संवत के महीनों के नाम इस प्रकार हैं—
- मोहर्रम-उल-हराम
- सफ़र
- रबी-उल-अव्वल
- उबी-उल-सानी
- जमादी-उल-अव्वल
- जमादी-उस-सानी
- रज़ब
- शाबान
- रमज़ान-उल-मुबारिक
- शवाल
- ज़ीकादा तथा
- जिज हिजा।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य लिंक
|