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==हिमालय / Himalya==
 
==हिमालय / Himalya==
हिमालय एक पर्वत शृंखला है जो भारतीय उपमहाद्वीप और तिब्बत को अलग करता है । यह अपनी ऊँची चोटियों के लिये प्रसिद्ध है । विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय की ही एक चोटी है । विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में कई हिमालय की चोटियाँ हैं । अन्य पर्वतों की अपेक्षा यह काफी नया है । हिमालय [[संस्कृत]] के हिम तथा आलय से मिल कर बना है जिसका शब्दार्थ 'बर्फ का घर' होता है । हिमालय भारत की धरोहर है । हिमालय पर्वत की एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। यह चोटी उत्तरप्रदेश के टिहरी-गढ़वाल जिले में स्थित है। इसकी ऊँचाई 20,731 फुट है। इसे सुमेरु भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम कलिंद है। यहीं से [[यमुना]] निकलती है। इसीसे [[यमुना]] का नाम कलिंदजा और कालिंदी भी है। दोनों का मतलब कलिंद की बेटी होता है। यह जगह बहुत सुन्दर है, पर यहां पहुंचना बहुत कठिन है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रुप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत 20,731 फीट ऊँचाई से प्रकट होती है।
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*हिमालय एक पर्वत शृंखला है जो भारतीय उपमहाद्वीप और तिब्बत को अलग करता है ।  
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*भारतवर्ष का सबसे ऊंचा पर्वत जो उत्तर में देश की लगभग 2500 कि0मी0 लंबी सीमा बनाता है और देश को उत्तर एशिया से पृथक करता है। कश्मीर से लेकर असम तक इसका विस्तार है।  *हिमालय पर्वतमाला की गणना वैज्ञानिक विश्व की नवीन पर्वतमालाओं से करते हैं।  इसका निर्माण सागर-तल के उठने से आज से पांच-छह करोड़ वर्ष पहले हुआ।  हिमालय को अपनी पूरी ऊंचाई प्राप्त करने में 60 से 70 लाख वर्ष लगे।
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*पुराणों के अनुसार हिमालय मैना का पति और [[पार्वती]] का पिता है। [[गंगा]] इसकी सबसे बड़ी पुत्री है।  भगवान [[शंकर]] का निवास कैलाश यहीं है। 
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*[[महाभारत]] के अनुसार [[पांडव]] स्वर्गारोहण के लिए यहीं आए थे। [[युधिष्ठिर]] देवरथ में बैठकर जब सशरीर स्वर्ग जाने लगे तो उनकी [[इंद्र]] से भेंट यहीं हुई थी। 
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*हिमालय अपनी ऊँची चोटियों के लिये प्रसिद्ध है । विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय की ही एक चोटी है । विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में कई हिमालय की चोटियाँ हैं । अन्य पर्वतों की अपेक्षा यह काफी नया है ।  
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*हिमालय [[संस्कृत]] के हिम तथा आलय से मिल कर बना है जिसका शब्दार्थ 'बर्फ का घर' होता है । हिमालय भारत की धरोहर है । हिमालय पर्वत की एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। यह चोटी उत्तरप्रदेश के टिहरी-गढ़वाल जिले में स्थित है। इसकी ऊँचाई 20,731 फुट है। इसे सुमेरु भी कहते हैं।  
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*हिमालय के एक भाग का नाम कलिंद है। यहीं से [[यमुना]] निकलती है। इसीसे [[यमुना]] का नाम कलिंदजा और कालिंदी भी है। दोनों का मतलब कलिंद की बेटी होता है। यह जगह बहुत सुन्दर है, पर यहां पहुंचना बहुत कठिन है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रुप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत 20,731 फीट ऊँचाई से प्रकट होती है।
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१२:२९, ३ सितम्बर २००९ का अवतरण


हिमालय / Himalya

  • हिमालय एक पर्वत शृंखला है जो भारतीय उपमहाद्वीप और तिब्बत को अलग करता है ।
  • भारतवर्ष का सबसे ऊंचा पर्वत जो उत्तर में देश की लगभग 2500 कि0मी0 लंबी सीमा बनाता है और देश को उत्तर एशिया से पृथक करता है। कश्मीर से लेकर असम तक इसका विस्तार है। *हिमालय पर्वतमाला की गणना वैज्ञानिक विश्व की नवीन पर्वतमालाओं से करते हैं। इसका निर्माण सागर-तल के उठने से आज से पांच-छह करोड़ वर्ष पहले हुआ। हिमालय को अपनी पूरी ऊंचाई प्राप्त करने में 60 से 70 लाख वर्ष लगे।
  • पुराणों के अनुसार हिमालय मैना का पति और पार्वती का पिता है। गंगा इसकी सबसे बड़ी पुत्री है। भगवान शंकर का निवास कैलाश यहीं है।
  • महाभारत के अनुसार पांडव स्वर्गारोहण के लिए यहीं आए थे। युधिष्ठिर देवरथ में बैठकर जब सशरीर स्वर्ग जाने लगे तो उनकी इंद्र से भेंट यहीं हुई थी।
  • हिमालय अपनी ऊँची चोटियों के लिये प्रसिद्ध है । विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय की ही एक चोटी है । विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में कई हिमालय की चोटियाँ हैं । अन्य पर्वतों की अपेक्षा यह काफी नया है ।
  • हिमालय संस्कृत के हिम तथा आलय से मिल कर बना है जिसका शब्दार्थ 'बर्फ का घर' होता है । हिमालय भारत की धरोहर है । हिमालय पर्वत की एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। यह चोटी उत्तरप्रदेश के टिहरी-गढ़वाल जिले में स्थित है। इसकी ऊँचाई 20,731 फुट है। इसे सुमेरु भी कहते हैं।
  • हिमालय के एक भाग का नाम कलिंद है। यहीं से यमुना निकलती है। इसीसे यमुना का नाम कलिंदजा और कालिंदी भी है। दोनों का मतलब कलिंद की बेटी होता है। यह जगह बहुत सुन्दर है, पर यहां पहुंचना बहुत कठिन है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रुप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत 20,731 फीट ऊँचाई से प्रकट होती है।