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ईसवी(140-183)
 
ईसवी(140-183)
  
कुषाण सम्राट [[कनिष्क]], हुविष्क और [[वासुदेव]] का शासन काल माथुरी कला का 'स्वर्णिम काल' था । इस समय इस कला शैली पर्याप्त समृद्धि और पूर्णता प्राप्त की । एक और मूर्ति जो संभवत: [[कुषाण]] सम्राट 'हुविष्क' की हो सकती है, इस समय '[[गोकर्णेश्वर]]' के नाम से मथुरा में पूजी जाती है । ऐसा लगता है कि कुषाण राजाओं को अपने और पूर्वजों के प्रतिमा मन्दिर या 'देवकुल' बनवाने की विशेष रुचि थी ।
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कुषाण सम्राट [[कनिष्क]], हुविष्क और [[वासुदेव]] का शासन काल माथुरी कला का 'स्वर्णिम काल' था । इस समय इस कला शैली ने पर्याप्त समृद्धि और पूर्णता प्राप्त की । एक और मूर्ति जो संभवत: [[कुषाण]] सम्राट 'हुविष्क' की हो सकती है, इस समय '[[गोकर्णेश्वर]]' के नाम से मथुरा में पूजी जाती है । ऐसा लगता है कि कुषाण राजाओं को अपने और पूर्वजों के प्रतिमा मन्दिर या 'देवकुल' बनवाने की विशेष रुचि थी ।

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हुविष्क / Huvishk

ईसवी(140-183)

कुषाण सम्राट कनिष्क, हुविष्क और वासुदेव का शासन काल माथुरी कला का 'स्वर्णिम काल' था । इस समय इस कला शैली ने पर्याप्त समृद्धि और पूर्णता प्राप्त की । एक और मूर्ति जो संभवत: कुषाण सम्राट 'हुविष्क' की हो सकती है, इस समय 'गोकर्णेश्वर' के नाम से मथुरा में पूजी जाती है । ऐसा लगता है कि कुषाण राजाओं को अपने और पूर्वजों के प्रतिमा मन्दिर या 'देवकुल' बनवाने की विशेष रुचि थी ।