हूणों

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हूण

ईसवी सन् के प्रारम्भ से सौ वर्ष पहले और तीन चार सौ वर्षों बाद तक विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक घुम्मकड़ और लड़ाकु कबीलों का अस्तित्व था जैसे नोमेढ़, वाइकिंग, नोर्मन, गोथ, कज्जाक, शक, हूण आदि । हूणों ने दक्षिण-पूर्वी यूरोप और उत्तर-पश्चिम एशिया में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था । रोम के साम्राज्य को तहस-नहस करने में हूणों का भी बहुत बड़ा हाथ था । अटिला हूण ने अपना साम्राज्य चौथी-पाँचवी शताब्दी के दौरान यूरोप में स्थापित किया । मध्य-एशिया में यह छठी-सातवीं शताब्दी में बस गए । कॉकेशस से हूणों ने फैलना शुरु किया । उत्तर-पश्चिम भारत में हूणों द्वारा तबाही और लूट के अनेक उल्लेख मिलते हैं । गुप्त काल में हूणों ने पंजाब तथा मालवा पर अधिकार कर लिया था । तक्षशिला को भी क्षति पहुँचायी । भारत में आक्रमण हूणों के नेता तोरमाण और उसके मिहिरकुल के नेतृत्व में हुआ । मथुरा में हूणों ने मन्दिरों, बुद्ध और जैन स्तूपो को क्षति पहुँचायी और लूटमार की । मथुरा में हूणों के अनेक सिक्के मिले ।