ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
गीता अध्याय-13 श्लोक-18 / Gita Chapter-13 Verse-18
प्रसंग-
इस प्रकार क्षेत्र, ज्ञान और ज्ञेय के स्वरूप का संक्षेप में वर्णन करके अब इस प्रकरण को जानने का फल बतलाते हैं –
इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासत: ।
मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते ।।18।।
|
इस प्रकार क्षेत्र तथा ज्ञान और जानने योग्य परमात्मा का स्वरूप संक्षेप से कहा गया । मेरा भक्त इसको तत्व से जानकर मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है ।।18।।
|
Thus the truth of the ksetra and knowledge, as well as of the object worth knowing, god has been briefly discussed; knowing this in reality, my devotee enters into my beings. (18)
|
इति = इस प्रकार ; क्षेत्रम् = क्षेत्र ; तथा = तथा ; ज्ञानम् = ज्ञान ; च = और ; ज्ञेयम् = जानने योग्य परमात्मा का स्वरूप ; समासत: = संक्षेप से ; उक्तम् = कहा गया ; एतत् = इसको ; विज्ञाय = तत्त्वसे जानकर ; भभ्दक्त: = मेरा भक्त ; भभ्दावाय = मेरे स्वरूप को ; उपपद्यते = प्राप्त होता है ;
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|
|
महाभारत |
---|
| महाभारत संदर्भ | | | | महाभारत के पर्व | |
|
|