परमानंद दास

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
जन्मेजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०६:३६, १३ जुलाई २००९ का अवतरण (परमानंददास का नाम बदलकर परमानंद दास कर दिया गया है)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

परमानंददास

यह वल्लभाचार्य जी के शिष्य और अष्टछाप कवियों में से एक थे । सन् 1551 ई. के आसपास इनका समय माना जाता है । इनका निवास स्थान कन्नौज था । इसी कारण से ये अनुमान किया जाता हैं कि ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे । परमानंद जी अत्यंत तन्मयता के साथ और बड़ी ही सरल कवितायें करते थे । कहते हैं कि इनके किसी एक पद को सुनकर आचार्यजी कई दिनों तक बदन की सुध भूले रहे । इनके फुटकल पद कृष्णभक्तों के मुँह से प्राय: सुनने में आते हैं ।


कृतियाँ-

  • परमानंदसागर