सेई

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सेई / Sei

  • परखम से डेढ़ मील दक्षिण-पूर्व तथा पसौली से चार मील दूरी पर यह स्थान स्थित है।
  • कृष्ण की माया से मोहित ब्रह्माजी ने गोप-बालकों और बछड़ों का हरणकर किसी गुप्त स्थान में रख दिया था।
  • किन्तु एक वर्ष बाद कृष्ण के निकट आने पर उन्होंने गोप बालकों कृष्ण के साथ पहले की भाँति गोचारण करते देखा।
  • उस समय वे विचार करने लगे कि कन्दरा में रखे हुए गोप बालक और बछड़े सेई (वही हैं) या नहीं।
  • फिर सोये हुए ग्वालबालों को देखा। वे सन्देह ग्रस्त हो गये कि क्या सेई(वही हैं)।
  • बार-बार सेई कहने से इस स्थान का नाम सेई अथवा ग्वालबाल और बछड़ों के सहित पूर्ववत् कृष्ण को देखकर निश्चित किया कि सेई ये वही स्वयं-भगवान कृष्ण हैं।