"गीता 3:10" के अवतरणों में अंतर
Deepak Sharma (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{subst:गीता}}) |
Deepak Sharma (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति ७: | पंक्ति ७: | ||
|- | |- | ||
| valign="top" | | | valign="top" | | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
− | ''' | + | '''सहयज्ञा: प्रजा: सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापति: ।''' |
+ | '''अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्तिष्टकामधुक् ।।10।।''' | ||
</div> | </div> | ||
---- | ---- | ||
पंक्ति २१: | पंक्ति १८: | ||
|- | |- | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | + | प्रजापति ब्रह्रा ने कल्प के आदि में यज्ञ सहित प्रजाओं को रचकर उनसे कहा कि तुम लोग इस यज्ञ के द्वारा वृद्धि को प्राप्त होओ और यह यज्ञ तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करने वाला हो ।।10।। | |
− | |||
− | |||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | + | sacrifice at the befinning of creation the creator, Brahma, said to them, “You shall prosper by this; may this yield the enjoyment you seek. (10) | |
− | |||
− | |||
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति ३५: | पंक्ति २८: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
− | + | प्रजापति: = प्रजापति (ब्रह्मा) ने ; पुरा = कल्पके आदिमें ; सहयज्ञा: = यज्ञसहित ; प्रजा: = प्रजाको ; सृष्टा = रचकर ; उवाच = कहा कि ; अनेन = इस यज्ञद्वारा (तुमलोग) ; प्रसविष्यध्वम् = वृद्धिको प्राप्त होवो (और) ; एष: = यह यज्ञ ; व: = तुमलोगोंको ; इष्टकामधुक् = इच्छित कामनाओंके देनेवाला ; अस्तु = होवे ; | |
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति ४४: | पंक्ति ३७: | ||
<div align="center" style="font-size:120%;">'''<= पीछे Prev | आगे Next =>'''</div> | <div align="center" style="font-size:120%;">'''<= पीछे Prev | आगे Next =>'''</div> | ||
<br /> | <br /> | ||
− | {{गीता अध्याय | + | {{गीता अध्याय 3}} |
{{गीता अध्याय}} | {{गीता अध्याय}} | ||
[[category:गीता]] | [[category:गीता]] |
११:१२, ८ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-X श्लोक-X / Gita Chapter-X Verse-X
|
अध्याय तीन श्लोक संख्या Verses- Chapter-3 |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14, 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 |
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>