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− | {{Image Info|यक्ष | + | {{Image Info|[[यक्ष]]मणिभद्र के मूर्ति (परखम यक्ष के नाम से प्रसिद्ध) |
− | Yaksha||वर्ष - 2009<br /> Year - 2009||[[ब्रज डिस्कवरी:कॉपीराइट|© brajdiscovery.org]]||परखम, [[मथुरा]]<br />Parkham. Mathura|लगभग तृतीय-द्वितीय शती ई॰ पू. <br /> C. 3rd-2nd Cent. B.C.|[[संग्रहालय मथुरा|राजकीय संग्रहालय]], [[मथुरा]]<br />Govt. Museum, Mathura|||| | + | Yaksha ( Popular Name Parkham Yaksha )||वर्ष - 2009<br /> Year - 2009||[[ब्रज डिस्कवरी:कॉपीराइट|© brajdiscovery.org]]|कुनिका के शिष्य गोमितक द्वारा निर्मित<br />Made By Gomitak Pupil of Kunika|परखम, [[मथुरा]]<br />Parkham. Mathura|लगभग तृतीय-द्वितीय शती ई॰ पू. <br /> C. 3rd-2nd Cent. B.C.|[[संग्रहालय मथुरा|राजकीय संग्रहालय]], [[मथुरा]]<br />Govt. Museum, Mathura||||पुराणों के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था। मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं, जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण परखम नामक गांव से मिली हुई अभिलिखित यक्ष-मूर्ति है । धोती और दुपट्टा पहने हुये स्थूलकाय माणिभद्र यक्ष खड़े हैं। इस यक्ष का पूजन उस समय बड़ा ही लोकप्रिय था। [[मूर्ति कला|देखिए मूर्ति कला]] |
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१०:३०, ११ दिसम्बर २००९ के समय का अवतरण
विवरण: | यक्षमणिभद्र के मूर्ति (परखम यक्ष के नाम से प्रसिद्ध)
Yaksha ( Popular Name Parkham Yaksha ) |
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चित्रांकन: | |
दिनांक: | वर्ष - 2009 Year - 2009 |
स्रोत: | |
प्रयोग अनुमति: | © brajdiscovery.org |
शिल्पकार/चित्रकार: | कुनिका के शिष्य गोमितक द्वारा निर्मित Made By Gomitak Pupil of Kunika |
प्राप्ति स्थान: | परखम, मथुरा Parkham. Mathura |
समय/काल: | लगभग तृतीय-द्वितीय शती ई॰ पू. C. 3rd-2nd Cent. B.C. |
उपलब्ध: | राजकीय संग्रहालय, मथुरा Govt. Museum, Mathura |
आकार: | |
संग्रहालय क्रम संख्या: | |
आभार: | |
अन्य विवरण: | पुराणों के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था। मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं, जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण परखम नामक गांव से मिली हुई अभिलिखित यक्ष-मूर्ति है । धोती और दुपट्टा पहने हुये स्थूलकाय माणिभद्र यक्ष खड़े हैं। इस यक्ष का पूजन उस समय बड़ा ही लोकप्रिय था। देखिए मूर्ति कला |
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वर्तमान | ११:५१, २५ सितम्बर २००९ | ६०० × १,३५० (१५१ KB) | Ashwani Bhatia (चर्चा | योगदान) |
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